DN Exclusive: फरेंदा में कब बंद होगा मौत का काला कारोबार, दर्जनों गांवों में धधक रही हैं अवैध शराब की भट्टियां, किसकी है शह और कौन है जिम्मेदार? पढ़िये खास रिपोर्ट

डीएन ब्यूरो

उत्तर प्रदेश में अवैध और कच्ची शराब पीने से अकाल मौत के मामले समय-समय पर सामने आते रहते हैं। पुलिस और संबंधित विभाग कुछ दिनों के लिये इस गोरखधंधे के खिलाफ खास अभियान भी चलाता है लेकिन बाद में सबकुछ वैसा ही हो जाता है। यूपी के महराजगंज जनपद के फरेंदा क्षेत्र में अवैध शराब का काला कारोबार करके मौत बांटने का काम बदस्तूर जारी है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

फरेंदा में दर्जनभर गांवों में धधक रही अवैध शराब की भट्टियां
फरेंदा में दर्जनभर गांवों में धधक रही अवैध शराब की भट्टियां


फरेंदा (महराजगंज): अवैध चढ़ावे की आंच से क्षेत्र की अवैध शराब की भट्ठियां धधकती जा रही है। कच्ची शराब बनाने और बेचने का काला कारनामा अब तक कई जानें ले चुकी है लेकिन इसके कारोबारी बदस्तूर फलते-फूलते जा रहे हैं। उनका साम्राज्य और बड़ा होता जा रहा है। शराब का नशा क्षेत्र के नौजवानों पर सिर चढ़कर बोल रहा है लेकिन जिम्मेदार विभाग और अधिकारी कुछ दिनों की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद मानों थक-हारकर आराम फरमा रहे हैं।

फरेंदा थाना क्षेत्र में अरसे से अवैध रूप से शराब बनाने का कारोबार व्यापक पैमाने पर चल रहा है। पुलिस और आबकारी विभाग अनजान बना हुआ है। इस काले कारोबार पर अंकुश लगाने वाले जिम्मेदार चढ़ावा लेकर मामले से आंखें फेर रहे है। क्षेत्र में कच्ची शराब का धंधा कुटीर उद्योग का रूप ले चुका है। 

क्षेत्र के एक नहीं बल्कि आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर कच्ची शराब की भट्टियां खुलेआम धधक रही है। ऐसा भी नहीं कि इसकी जानकारी आबकारी और पुलिस विभाग को न हो। लेकिन भ्रष्टाचार के कारण यह कारोबार बढ़ता जा रहा है। अवैध शराब के स्थानों पर आपराधिक और असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है। जिससे क्षेत्र में अपराधों को भी बढ़ावा भी मिल रहा है। शाम ढलते ही कई गांवों में शराब के अवैध ठिकानों पर लाईन लगाकर शराब की बिक्री हो रही है।

इन गांवों में धंधक रही शराब की भठ्ठियां

फरेंदा थाना क्षेत्र के गुदरीपुर, कुशहटिया, भारीवैसी, घोड़सारे, जनकजोत, खखड़हिया, सपही, नवडिहवा, डिहवा आदि गांवों में अवैध शराब की भठ्ठियां धधक रही है। वही परगापुर ताल के किनारे पर भी अवैध शराब का कारोबार तेज है। कोई नहीं जानता कि ये भट्टियां अभी और कितनी जाने लेंगी और विभाग कब गहरी नींद से जगेगा?










संबंधित समाचार