DN Exclusive: ट्रांसफर मामले में जिस महिला अफसर की लखनऊ ने खोली जांच, उसे रिटायरमेंट के 24 घंटे के अंदर दिल्ली से मिली मलाईदार पोस्टिंग
अजब यूपी के ब्यूरोक्रेसी की गजब कहानी है। यहां सही-गलत के फैसले से ज्यादा अहम हैं आप किस दिग्गज नौकरशाह के कैंप में हैं? इसी से रिटायरमेंट के बाद आपकी तकदीर का फैसला होता है। 31 जुलाई तक उत्तर प्रदेश के वन विभाग में नंबर 1 की अधिकारी रहीं ममता संजीव दुबे को लेकर बड़ा अपडेट डाइनामाइट न्यूज़ पर है। एक्सक्लूसिव खबर:
नई दिल्ली: मामला उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी का है। जो राज्य के वन विभाग से जुड़ा हुआ है। वह भी लगभग 100 वन क्षेत्राधिकारियों (रेंजरों) के तबादलों में हुई कथित अनियमितता से जुड़ा।
31 जुलाई को यूपी के वन विभाग की नंबर वन की अधिकारी तथा 1986 बैच की भारतीय वन सेवा (IFoS) की अफसर ममता संजीव दूबे (Mamta Sanjeev Dubey) रिटायर हो गयीं। ये उत्तर प्रदेश वन विभाग के विभागाध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की प्रधान मुख्य वन संरक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुईं।
रिटायरमेंट के ठीक एक दिन पहले इनकी नींद उड़ा दीं, इनके बॉस और राज्य के अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन IAS मनोज सिंह (UP:89) ने।
अंदरखाने चर्चा है कि महिला अफसर अपने बॉस से ज्यादा दिल्ली में बैठे एक अफसर की सुनती थीं। यही अंदरुनी विवाद की वजह बन बैठा।
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सीनियर IAS मनोज सिंह ने ममता के खिलाफ 70 से लेकर 100 क्षेत्रीय वनाधिकारियों के अनियमित तरीके से किये गये स्थानांतरण पर गंभीर सवालिया निशान लगाते हुए एक भारी-भरकम आदेश जारी कर दिया और तत्काल प्रभाव से अनियमित तरीके से किये गये इन सभी तबादलों को निरस्त कर दिया।
इतना ही नहीं, अपर मुख्य सचिव ने ममता संजीव दुबे द्वारा अनियमित तरीके से किये गये तबादलों की जांच की फाइल भी खोलने का आदेश निर्गत कर दिया। इसके बाद मानो विभाग में कोहराम सा मच गया।
इस बारे में डाइनामाइट न्यूज़ ने 30 जुलाई को शीर्षक "अपर मुख्य सचिव से उलझना महिला अफसर को पड़ा महंगा, रिटायरमेंट से एक दिन पहले 100 तबादले निरस्त, विभागाध्यक्ष के खिलाफ जांच के आदेश से मचा हड़कंप" से एक विस्तृत खबर प्रकाशित की थी।
डाइनामाइट न्यूज़ की खोजी टीम की खबर के मुताबिक इसके बाद ममता संजीव दुबे ने लखनऊ को करारा आईना दिखाया और दिल्ली दरवाजे पर दस्तक दे रिटायरमेंट के ठीक 24 घंटे के अंदर अपने लिए एक जबरदस्त मलाईदार पोस्टिंग हासिल कर ली।
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भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर ममता संजीव दूबे को 3 साल के लिए State Environment Impact Assessment Authority (SEIAA) यानि कि राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) का चेयरमैन नियुक्त कर दिया।
गंभीर सवाल
सवाल यह है कि जब महिला अफसर पर कथित तौर पर 100 के करीब वन रेंजरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग में अनियमितता के गंभीर आरोप हैं और इन तबादलों के निरस्त करने के बाद महिला अफसर की खुद की जांच चल रही हैं ऐसे में बिना जांच पूरी हुए कैसे इन्हें SEIAA जैसे बेहद महत्वपूर्ण संस्था का अध्यक्ष रिटायरमेंट के अगले ही दिन नियुक्त कर दिया गया?
क्या लखनऊ और दिल्ली के बीच एक-दूसरे को नीचा दिखाने की होड़ मची है?
सवाल कई हैं जिसका जवाब देने को कोई तैयार नहीं। इसकी चारों तरफ जोर-शोर से चर्चा हो रही है।
क्या है SEIAA (एसईआईएए)
राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) राज्य स्तर पर ईआईए अधिसूचना के कार्यान्वयन के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का बहुत महत्वपूर्ण संगठन है। इसे श्रेणी बी के तहत सभी प्रस्तावों के लिए पर्यावरण संबंधी मंजूरी(ईसी) पर विचार करने तथा प्रावधान तैयार करने की शक्तियां दी गई हैं। उद्योग धंधों, माइनिंग आदि के कार्य में पर्यावरण मंजूरी संबंधी में इस संगठन की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका है।