DN Exclusive: संघर्षों से जूझकर खुद बने IPS, फिर पूरे परिवार को दिलाई सफलता, अब बेटे ने क्रेक की UPSC परीक्षा, पढ़िये सफलता की ये रोचक कहानी

सुभाष रतूड़ी

संघर्ष और अभावों से जूझते हुए बड़े मुकाम को हासिल करना अक्सर हर किसी के बस की बात नहीं होती है। लेकिन यूपी के अति पिछड़े क्षेत्र से आने वाले उदय प्रताप ने बेहद विपरीत परिस्थितियों के बावजूद ने केवल खुद को बल्कि पूरे परिवार को सफलता मुकाम पर पहुंचाया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की ये एक्सक्लूसिव रिपोर्ट



नई दिल्ली: विपरीत परिस्थितियों, अभावों और संघर्षों से जूझकर यदि किसी को सफलता प्राप्त करनी हो तो उसे ये कहानी जरूर पढ़नी चाहिये। 

उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद में बिहार बार्डर पर स्थित थाना लार के सलेमपुर तहसील में स्थित अति पिछड़े गांव परना निवासी उदय प्रताप सिंह को अभाव और संघर्ष एक तरह से विरासत में ही मिल गये थे। उनका बचपन बेहद विपरीत परिस्थितियों से भरा रहा। लेकिन होनहार उदय प्रताप सिंह ने संघर्ष और कठिन परिस्थितियों से जूझना कभी नहीं छोड़ा। उनकी जीवटता, संघर्ष, सकारात्मकता और लगातार जूझते रहने की जिद के सामने प्रतिकूल परिस्थितियों को भी झुकना व हार मानना पड़ा और एक दिन वे जीत गये।   

लगातार बढ़ते रहे आगे

विषम परिस्थितियों से जूझकर जीतने और आगे निकलने की कला को उदय प्रताप सिंह ने अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बना डाला और इसी हिम्मत के साथ पर वे लगातार आगे बढ़ते रहे। संघर्ष और अभावों में पलने-बढ़ने वाले उदय प्रताप देश की प्रतिष्ठित पुलिस सेवा का हिस्सा बने। 

आईपीएस बनकर परिवार को पढ़ाया-लिखाया

उदय प्रताप पहले खुद आईपीएस अधिकारी बने और उसके बाद फिर अपनी तीनों संतानों को पढ़ा-लिखाकर जज, वकील और प्रशासनिक अफसर बनाया। 

पत्नी इलाहाबाद हाई कोर्ट में एडवोकेट

उत्तर प्रदेश के डीआईजी पद से रिटायर उदय प्रताप की पत्नी दुर्गश नंदिनी इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में एडवोकेट हैं। 

एक बेटी जज तो दूसरी वकील

उनकी तीन संतानों में सबसे बड़ी पुत्री युग्मिता प्रताप ने एलएलएम की पढ़ाई की और यूपी पीसीएस-जे की प्रतिष्ठित परीक्षा को क्वालिफाई किया और जज बनीं। युग्मिता प्रताप इस समय कानपुर देहात में सिविल जज के पद पर तैनात हैं। 

उनकी दूसरी बेटी अपरिमिता प्रताप ने बीए, एलएलबी की डिग्री हासिल की। अपरिमिता ने एनयूजेएस कोलकाता से पढ़ाई की और उन्होंने मुंबई में एक प्रतिष्ठित वकील के रूप में खुद को स्थापित किया। अपरिमिता आगे मास्टर्स करके सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने की इच्छा रखती हैं।

छोटे भाई विद्यासागर बने आईएएस

उदय प्रताप के मार्गदर्शन में उनके छोटे भाई विद्यासागर ने भी प्रतिष्ठित पीसीएस परीक्षा पास की और वहां से आईएएस अफसर बनने तक का सफर पूरा किया। 

बहनोई भी एडिशनल जज

उदय प्रताप ने अपनी बहन को भी खूब पढ़ाया लिखाया। उनके बहनोई रामअवतार प्रसाद इस समय महराजगंज जनपद में एडिशनल जज हैं।  

मंगलवार को मिला बड़ा पैगाम 

उदय प्रताप और उनके परिवार के लिये बीता मंगलवार एक और बड़ी खुशी और सफलता का पैगाम लेकर आया। मंगलवार को यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा-2023 का अंतिम रिजल्ट घोषित हुआ।

बेटे अभ्युदय ने क्रेक की यूपीएससी परीक्षा

उदय प्रताप के सबसे छोटे बेटे अभ्युदय भी देश के उन 1016 होनहार अभ्यर्थियों में शामिल हैं, जिन्होंने देश की सबसे प्रतिष्ठित और कठिन यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा को पास किया।

डाइनामाइट न्यूज़ को बतायी कहानी

अभ्युदय के यूपीएससी परीक्षा क्रेक करने के खास मौके पर डाइनामाइट न्यूज़ ने उनके पिता उदय प्रताप से बातचीत की और अभ्युदय की सफलता का राज और बेटे को उनके मार्गदर्शन के बारे में जाना। 

बिना कोचिंग और पहली बार में UPSC क्रेक

उदय प्रताप ने बताया कि अभ्युदय का यह पहला प्रयास था। अभ्युदय पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा क्रेक करने में सफल रहे। सबसे बड़ी बात यह है कि अभ्युदय ने इसके लिये कोई कोचिंग नहीं ली और घर बैठे ही तैयारी की। जरूरत के हिसाब से अभ्युदय ने ऑनलाइन सपोर्ट जरूर लिया।  

पुलिस सेवा, व्यस्तता और परिवार

उदय प्रताप कहते हैं कि पुलिस सेवा में होने के कारण उनकी लगातार पोस्टिंग, ट्रांसफर, फिल्ड ड्यूटी होती रहती थी। अत्यधित व्यस्तताओं के बीच उन्होंने सबसे पहले अपने परिवार को लखनऊ में सैटल्ड किया और घर-परिवार से दूर रहने के बावजूद भी अपनी संतानों को लगातार पढ़ाई-लिखाई के लिये प्रेरित करते रहे।

शिक्षा सबसे बड़ा साधन

डाइनामाइट न्यूज़ के साथ बातचीत में उदय प्रताप कहते हैं कि वे उनका परिवार शिक्षा के बल पर ही आगे बढ़ा है। वे कहते हैं कि शिक्षा ही एकमात्र ऐसा साधन है, जिसे अपनाकर कोई भी व्यक्ति, समाज और देश आगे बढ़ सकता है।










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