DN Exclusive: भ्रष्टाचार पर शासन सख्त, महराजगंज जिले के चकबंदी अधिकारी अखिलेश कुमार लखनऊ मुख्यालय से अटैच

डीएन ब्यूरो

लंबे वक्त से खबर आ रही है कि महराजगंज जिले के चकबंदी विभाग में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। अफसर मनमानी पर उतारु हैं। ऐसे ही एक मामले में शासन ने चकबंदी अधिकारी अखिलेश कुमार के खिलाफ हुई शिकायत में सख्त एक्शन लिया है। डाइनामाइट न्यूज़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट:

महराजगंज जिले के चकबंदी अधिकारी अखिलेश कुमार
महराजगंज जिले के चकबंदी अधिकारी अखिलेश कुमार


लखनऊ: 6 साल से महराजगंज जिले में चकबंदी अधिकारी के पद पर जमे अखिलेश कुमार के खिलाफ शासन ने सख्त एक्शन लिया है। पत्रांक संख्या 1199/ई.-01/2021-22 दिनांक 23 सितंबर 2022 के माध्यम से जारी चकबंदी निदेशालय के आदेश के मुताबिक महराजगंज जिले के चकबंदी अधिकारी अखिलेश कुमार के खिलाफ गंभीर भ्रष्टाचार व अनियमितता संबंधी कई शिकायतें शासन स्तर पर हुई हैं। जिस पर शासन ने सख्त एक्शन लेते हुए इनको चकबंदी मुख्यालय लखनऊ से संबंद्ध कर दिया है।

इस कार्यवाही के पीछे की वजह है भारी भ्रष्टाचार। शासन ने नौतनवा तहसील के गांव आराजी सरकार उर्फ केवटलिया के एक मामले की गोपनीय जांच करायी। चकबंदी नियमावली के विपरित जाकर अवैधानिक तरीके से अखिलेश कुमार ने 52 साल बाद अभिलेखों में परिवर्तन/अंकन संबंधी गैरकानूनी आदेश पारित कर दिया। इसके पीछे अखिलेश ने बड़ा खेल किया है। 

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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक अखिलेश कुमार के खिलाफ कई अन्य मामलों में भी शासन स्तर पर विभिन्न जांचें लंबित हैं। इनका महराजगंज जिले का पूरी कार्यकाल दागदार और विवादित रहा है।

इन पर एक और बड़ा आरोप यह है कि हाईकोर्ट के आदेश को भी ये रद्दी की टोकरी में डालने से पीछे नहीं हिचकते। यहां तक की हाईकोर्ट के आदेश का खतौनी में ये पालन तक नियमानुसार न कर विपक्षियों से मिल धनउगाही  करते हैं। इससे संबंधित एक अन्य जांच में इन पर कार्यवाही की तलवार लटक कर रही है।

इन पर बड़ा आरोप यह भी है कि ये चकबंदी विभाग में एक गिरोह चलाते थे और अक्सर कोर्ट में बैठते ही नहीं थे, ये इस बात का इंतजार करते रहते थे कि किसी न किसी बहाने कोर्ट न चले और कोई न कोई प्रस्ताव आ जाये और जिन मामलों में इनको मनमाना फैसला देना होता था, वे प्रस्ताव से आने से पहले भी उनमें घर से लिखकर लाये फैसले को सुना देते थे।

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एक और दागी चकबंदी अधिकारी पर है शासन की नजर

जमीनों के हेरफेर में पूर्व की तैनाती वाले जिले में एफआईआर के बाद निलंबित हो चुके एक और दागी तथा रिश्वतखोर चकबंदी अधिकारी पर शासन की नजर टेढ़ी हो चुकी है कि कैसे यह जिले में चार साल से जमा है। तीन साल एक जिले में तैनाती काट चुके हर अफसर का जब तबादला हो जाना है तो कैसे और किस मायाजाल से सेटिंग कर यह घूसखोर चकबंदी अधिकारी जिले में बना हुआ है इसकी गोपनीय जांच जारी है। जल्द इस पर भी गाज गिरेगी। आरोप है कि खुले आम जिले में इसके दलाल सक्रिय हैं और फाइलों को लेकर सेटिंग करते हैं। इसकी भी तैनाती महराजगंज जिले में है लेकिन इसने गोरखपुर के रुस्तमपुर इलाके को अपना आशियाना बनाया है और डीएम और डीडीसी की आंखों में धूल झोंकते हुए रात्रि-निवास महराजगंज जिले में न कर गैर जनपद गोरखपुर में रात्रि निवास करते हैं। इनके बारे में सबसे चर्चित बात यह है कि यह आदेश कोर्ट में लिखने की बजाय गोरखपुर के अपने घर से हाथ से लिखकर लाने में ज्यादा भरोसा करते हैं। अखिलेश कुमार के पदचिन्हों पर चलने वाले इस चकबंदी अधिकारी की घूसखोरी के किस्से फरियादियों की जुबान पर जबरदस्त चर्चा का विषय बने हुए हैं। मुकदमाधीन विवादित जमीनों पर कोई पक्ष निर्माण नहीं कर सकता लेकिन घूसखोरी कर ये एक पक्ष को निर्माण कार्य करने की गैरकानूनी अनुमति दे देते हैं, भले दूसरा पक्ष इसके विरोध में निर्माण रोके जाने के लिए स्टे की दलील देता रहे लेकिन साहब को लाल रंग के नोटों के आगे झूठ को सच बनाते देर नहीं लगती। 










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