DN Exclusive: जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव में भाजपा की करारी हार, जिला संगठन में फूटी विद्रोह की चिंगारी

डीएन ब्यूरो

जिले में सांसद से लेकर चार विधायक भाजपा के हैं। सीएम से लेकर पीएम तक भाजपा के हैं। इसके बाद भी जनता भाजपा से बुरी तरह नाराज है। जिसका उदाहरण देखने को मिला जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव में। इस हार के पीछे भाजपाई आपसी गुटबाजी, कलह और जातिवाद को सबसे बड़ी वजह मान रहे हैं। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव

भाजपा की महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष मधु पांडेय
भाजपा की महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष मधु पांडेय


महराजगंज: आठ महीने बाद राज्य में विधानसभा के चुनाव होंगे। उससे पहले सेमीफाइनल माने जा रहे पंचायती चुनाव में सत्तारुढ़ भाजपा की मिट्टी पलीत हो गयी है। जनता की इस भारी नाराजगी की वजह जनप्रतिनिधियों की कार्यप्रणाली मानी जा रही है।

जिला पंचायत सदस्य की 47 सीट में से महज चंद सीट ही भाजपा जीत सकी है। हार के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं का गुस्सा जिला संगठन व नेताओं पर फूट पड़ा है। जमकर जातिवाद, गुटबाजी का आरोप लगाया जा रहा है।

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मोर्चा खोला है भाजपा की महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष मधु पांडेय ने। वे खुद जिला पंचायत सदस्य का चुनाव वार्ड 43 से लड़ रही थीं लेकिन बुरी तरह हार गयीं। घुघुली तृतीय की इस सीट से दुर्गावती देवी विजयी हुई हैं।

मधु पांडेय की गिनती जिले के तेज-तर्रार नेताओं में होती है। हार के बाद मधु ने जमकर अपनी भड़ास सोशल मीडिया के जरिये निकाली।

मधु ने कहा कि उनके खिलाफ जानबूझकर एक बागी को लड़ा दिया गया, जब इसकी शिकायत जिला संगठन से की तो कोई एक्शन नहीं लिया गया, जब मैं पार्टी की अधिकृत उम्मीदवार हूं तो कैसे कोई बागी पार्टी का झंडा, डंडा इस्तेमाल कर सकता है, क्यों नहीं समय रहते उन पर एक्शन लिया गया?

मधु ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि "भारतीय जनता पार्टी का जिले में अस्तित्व खत्म होता दिख रहा है" आगे उन्होंने लिखा कि "मेरी हार जिले की भारतीय जनता पार्टी की घटिया, एवं जातिगत राजनीति का हार है, हमने पूरा कोशिश किया था और हम लोग चुनाव जीत भी जाते लेकिन भारतीय जनता पार्टी की जिले की गंदी एवं जातिगत राजनीति की वजह से वार्ड नंबर 43 नहीं पूरे 47 वार्डों में सिर्फ दो तीन प्रत्याशियों को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी हर जगह से हार का सामना करना पड़ा, शायद पहली बार ऐसा हुआ है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी महाराजगंज जिले का कार्यप्रणाली बहुत खराब हो गई है" उन्होंने यह भी लिखा कि "जब जिले की टीम ऐसी होगी तो जिले में भारतीय जनता पार्टी का अस्तित्व खत्म हो जाएगा ,मेरा  शीर्ष न नेतृत्वसे अनुरोध है ऐसे लोगों को पार्टी से निष्कासित कर देना चाहिए, सिर्फ जिले के कुछ पदाधिकारियों की वजह से भारतीय जनता पार्टी पूरे जिले में अस्तित्व खत्म  दिख रहा है"

कुल मिलाकर भाजपा की इस हार ने अंदरुनी कलह को बुरी तरह सड़क पर ला खड़ा किया है, हालत यह हो गयी है कि जिला पंचायत अध्यक्ष के प्रमुख दावेदार माने जा रहे दोनों प्रमुख चेहरे संगठन के महामंत्री रहे ओम प्रकाश पटेल और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष धर्मा देवी के पति नंद लाल अंबेडकर अपनी-अपनी सीट हार बैठे। यह हार भाजपा के लिए एक सदमे से कम नहीं। कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा है कि अध्यक्ष की कुर्सी के लिए सेफ चेहरा माने जाने वाले इन दोनों नेताओं की हार के बाद आसानी से अध्यक्ष पद के लिए कोई सेफ चेहरा ढूंढ़ने में नाकों चना चबाना पड़ेगा क्योंकि बाकी जो भी बचे हैं वे प्रभुदयाल के भी गुरु निकल जायें तो कोई आश्चर्य नहीं। 

इससे भी बड़ी बात यह है कि जिला पंचायत की इस करारी हार ने विधायकों की नींद उड़ा कर रख दी है। पार्टी के अंदरखाने में चर्चा है कि हारे प्रत्याशियों ने भी इन्हें आठ महीने बाद करारा सबक सिखाने का मन बना लिया है। 


 

 










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