दिल्ली हाई कोर्ट ने निजी, राजनीतिक से प्रेरित जनहित याचिकाओं को लेकर किया आगाह, जानिये क्या कहा

व्यक्तिगत, कारोबारी या राजनीतिक एजेंडे को बढ़ावा देने वाली तुच्छ जनहित याचिकाओं को लेकर आगाह करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि अदालतों को इस बारे में सावधानीपूर्वक पड़ताल करनी चाहिए कि क्या संबंधित व्यक्ति का इसके पीछे कोई निजी मकसद या परोक्ष विचार तो नहीं है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 3 April 2023, 5:56 PM IST
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नयी दिल्ली: व्यक्तिगत, कारोबारी या राजनीतिक एजेंडे को बढ़ावा देने वाली तुच्छ जनहित याचिकाओं को लेकर आगाह करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि अदालतों को इस बारे में सावधानीपूर्वक पड़ताल करनी चाहिए कि क्या संबंधित व्यक्ति का इसके पीछे कोई निजी मकसद या परोक्ष विचार तो नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने अपने हालिया आदेश में कहा कि इस तरह की जनहित याचिकाएं न केवल न्यायिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता के लिए गंभीर खतरा पैदा करती हैं और कीमती न्यायिक समय को बेकार करती हैं, बल्कि अन्य संस्थानों की विश्वसनीयता को खतरे में डालने और लोकतंत्र एवं कानून के शासन में जनता के विश्वास को कम करने की क्षमता भी रखती हैं।

इसने कहा, 'जनहित याचिका के आकर्षक ब्रांड नाम का इस्तेमाल शरारत के लिए नहीं किया जाना चाहिए' और ये जनहित के वास्तविक मुद्दों पर आधारित होनी चाहिए।

पीठ ने कहा कि व्यक्तिगत, कारोबारी या राजनीतिक एजेंडे को बढ़ावा देने वाली तुच्छ जनहित याचिकाओं को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है और अदालतों को इस बारे में सावधानीपूर्वक पड़ताल करनी चाहिए कि क्या संबंधित व्यक्ति का कोई निजी मकसद या परोक्ष विचार है?

अदालत ने कहा कि जनहित याचिका की अवधारणा अपनी आवाज न उठा सकने वालों के लिए न्याय सुरक्षित करने के औजार के रूप में की गई थी, लेकिन यह अवधारणा तुच्छ जनहित याचिकाओं से प्रभावित हो रही है और इससे काफी अधिक कीमती समय बर्बाद होता है।

उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताने वाली एक महिला की शहर में एक कथित अनधिकृत निर्माण के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए की।

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