दिल्ली हाई कोर्ट ने आगामी एशियाई खेलों से जुड़े इस मामले पर जतायी नाराजगी

दिल्ली उच्च न्यायालय ने आगामी एशियाई खेलों के लिए भारत का प्रतिनिधित्व करने के मद्देनजर घुड़सवारों की चयन प्रक्रिया पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि खिलाड़ियों को अदालत के गलियारे में नहीं बल्कि स्टेडियमों में होना चाहिए । पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 9 March 2023, 6:37 PM IST
google-preferred

नयी दिल्ली:  दिल्ली उच्च न्यायालय ने आगामी एशियाई खेलों के लिए भारत का प्रतिनिधित्व करने के मद्देनजर घुड़सवारों की चयन प्रक्रिया पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि खिलाड़ियों को अदालत के गलियारे में नहीं बल्कि स्टेडियमों में होना चाहिए और जिनका उद्देश्य देश को गौरवान्वित करना है, उन्हें खेल महासंघों द्वारा मानसिक पीड़ा का शिकार नहीं बनाया जाना चाहिए।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार न्यायमूर्ति गौरांग कांत ने तीन घुड़सवारों की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि वह भारतीय घुड़सवारी महासंघ (ईएफआई) के प्रतिनिधियों में पेशेवर रवैये की दयनीय स्थिति से काफी दुखी थे और मौजूदा मामला ऐसा लगता है कि जिसमें एक संस्था अपनी पूरी ताकत कुछ व्यक्तिगत खिलाड़ियों को टूर्नामेंट से बाहर करने के लिये इस्तेमाल कर रही है।

चिराग खंडाल, शशांक सिंह कटारिया और यश नेनसी की याचिका महासंघ द्वारा 19वें एशियाई खेलों के लिए चयन मानंदड में शुरू किये गये कुछ बदलावों से संबंधित है। इन एशियाई खेलों का आयोजन इस साल सितंबर-अक्टूबर में चीन के हांगजोऊ में किया जायेगा।

अदालत ने सात मार्च को जारी किये गये अपने आदेश में कहा, ‘‘कोई भी (खिलाड़ी) जो अपने देश का गौरवान्वित करने का लक्ष्य रखता है, उसे महासंघ और इसके अधिकारियों द्वारा मानसिक पीड़ा का शिकार नहीं बनाया जाना चाहिए।

पिछले 18वें एशियाई खेलों में भारत की पदक तालिका में निचले स्थान की स्थिति को देखते हुए हमारे सारे प्रयास अपने खिलाड़ियों को सहयोग भरा वातावरण मुहैया कराने के होने चाहिए ताकि उनका ध्यान सिर्फ अपने प्रदर्शन में सुधार करने और टूर्नामेंट में शीर्ष स्थान हासिल करने पर लगा रहे। ’’

 

Published : 

No related posts found.