हिंदू देवता के बारे में विवादित टिप्पणी के लिए माफी नहीं मांगने पर अड़ी माकपा, जानिये पूरा विवाद

डीएन ब्यूरो

केरल में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने स्पष्ट किया कि विधानसभा अध्यक्ष ए एन शमसीर एक हिंदू देवता के बारे में अपनी विवादास्पद टिप्पणी के लिए माफी नहीं मांगेंगे। शमसीर के बयान को लेकर राज्य में राजनीतिक विवाद उत्पन्न हो गया है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

माकपा के प्रदेश सचिव एम वी गोविंदन
माकपा के प्रदेश सचिव एम वी गोविंदन


तिरुवनंतपुरम:  केरल में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने  स्पष्ट किया कि विधानसभा अध्यक्ष ए एन शमसीर एक हिंदू देवता के बारे में अपनी विवादास्पद टिप्पणी के लिए माफी नहीं मांगेंगे। शमसीर के बयान को लेकर राज्य में राजनीतिक विवाद उत्पन्न हो गया है।

विभिन्न हिंदू संगठनों और कांग्रेस एवं भाजपा जैसे राजनीतिक दलों द्वारा आलोचना और शमसीर से माफी मांगने के साथ-साथ विधानसभा अध्यक्ष पद से उनके इस्तीफे की मांग के बीच माकपा ने यह स्पष्ट कर दिया कि उन्होंने (शमसीर) कोई गलती नहीं की।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार माकपा के प्रदेश सचिव एम वी गोविंदन ने यहां पार्टी मुख्यालय एकेजी सेंटर में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि शमसीर के बयान के संबंध में किसी माफी या सुधार जारी करने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा, 'शमसीर ने जो कहा वह पूरी तरह सही है।'

माकपा के प्रदेश सचिव ने इस मामले पर कांग्रेस के रुख की आलोचना करते हुए कहा कि यह पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की शिक्षाओं के खिलाफ है, जिन्होंने समाज में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा दिया था। उन्होंने यह भी दावा किया कि इससे पहले कांग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर ने भी शमसीर जैसा ही विचार साझा किया था। गोविंदन ने कहा, ‘‘तो देखते हैं कि वी डी सतीसन (कांग्रेस नेता) को अब क्या कहना है।’’

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सतीसन ने पहले दिन कहा था कि विधानसभा अध्यक्ष का बयान सांप्रदायिक ताकतों के लिए एक हथियार है और इसे ठीक करना बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष ने वह सावधानी और सतर्कता नहीं बरती जो एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को बरतनी चाहिए थी।

उन्होंने आरोप लगाया कि जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और संघ परिवार ने शमसीर की टिप्पणी का राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की, वहीं माकपा ने भी सांप्रदायिक ताकतों की तरह ही मुद्दे की आग को भड़काने की कोशिश की।

दोपहर में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में गोविंदन ने कहा कि वाम दल किसी भी धर्म या आस्था के खिलाफ नहीं है और उसने हमेशा सभी आस्तिकों और नास्तिकों को एक ही समाज का हिस्सा माना है।

हालांकि,उन्होंने आरोप लगाया कि यह केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा है जो इतिहास सहित हर चीज का भगवाकरण करने की कोशिश कर रही है।

गोविंदन ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अक्टूबर 2014 में मुंबई में एक अस्पताल के उद्घाटन के दौरान कहा था कि भगवान गणेश का स्वरूप प्लास्टिक सर्जरी का परिणाम था।

गोविंदन ने कहा, ‘‘इस तरह से कहना गलत है। मिथकों को मिथक, इतिहास को इतिहास और विज्ञान को विज्ञान माना जाना चाहिए। आप विज्ञान को अस्वीकार करके आगे नहीं बढ़ सकते।’’

उन्होंने दलील दी, ‘‘हालांकि हर किसी को अपनी आस्था रखने का अधिकार है, यहां तक कि विज्ञान के खिलाफ भी, लेकिन इसका इस्तेमाल वैज्ञानिक सोच पर हमला करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा, ऐसी मान्यताओं पर सवाल उठाने वालों को हिंदू विरोधी या विश्वास विरोधी करार देना गलत है।’’

उन्होंने कहा कि केरल में कांग्रेस इस समय वही दोहरा रही है जो भाजपा कह रही है।

गोविंदन ने कहा कि दूसरी ओर, नेहरू एक भौतिकवादी व्यक्ति थे और 'डिस्कवरी ऑफ इंडिया' समेत उनकी दो किताबें भौतिकवाद पर आधारित थीं।

हाल ही में एर्णाकुलम जिले के एक स्कूल में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान, शमसीर ने कथित तौर पर केंद्र पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में उपलब्धियों के बजाय बच्चों को हिंदू मिथक सिखाने की कोशिश करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि भगवान गणेश एक मिथक हैं और इस मान्यता का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) जैसे दक्षिणपंथी संगठनों ने यह कहते हुए शमसीर के खिलाफ पहले ही एक अभियान शुरू कर दिया है कि वे भगवान गणेश और पौराणिक 'पुष्पक विमानम' के बारे में विधानसभाध्यक्ष की टिप्पणी से व्यथित हैं।

सत्तारूढ़ माकपा ने शनिवार को शमसीर की कथित विवादास्पद टिप्पणी को लेकर संघ परिवार द्वारा उनके खिलाफ चलाए गए अभियान की कड़ी निंदा की थी।

माकपा ने यहां एक बयान में कहा था कि मिथकों और मान्यताओं की गलत व्याख्या करने और उन्हें वैज्ञानिक विचारों के रूप में चित्रित करने से केवल समाज की प्रगति पिछड़ेगी और विज्ञान के विकास में बाधा आएगी।

इस बीच नायर समुदाय के एक संगठन ने  केरल विधानसभा अध्यक्ष की टिप्पणी के खिलाफ 'आस्था बचाओ दिवस' मनाया। बड़ी संख्या में हिंदू श्रद्धालु और प्रभावशाली नायर समुदाय के एक संगठन के सदस्यों ने राज्य विधानसभा अध्यक्ष ए एन शमसीर की हिंदू देवता के बारे में हालिया टिप्पणी के विरोध स्वरूप पूरे केरल में भगवान गणेश के मंदिरों में पूजा-अर्चना की।

विभिन्न जिलों में विशेष प्रार्थनाएं की गईं क्योंकि नायर सर्विस सोसाइटी (एनएसएस) ने समुदाय के सदस्यों से शमशीर की टिप्पणी के खिलाफ आज 'आस्था बचाओ दिवस' ​​मनाने का आग्रह किया था।

नायर समुदाय के एक प्रभावशाली संगठन एनएसएस ने आरोप लगाया कि शमसीर की इस विवादास्पद टिप्पणी से हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंची है कि भगवान गणेश एक मिथक थे और इस विश्वास का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।

विरोध के तहत एनएसएस महासचिव जी सुकुमारन नायर ने कोट्टायम जिले के चंगनास्सेरी में एक मंदिर में प्रार्थना की। नायर ने बाद में पत्रकारों से कहा कि संगठन भगवान गणेश के खिलाफ शमसीर के बयान को 'हिंदू विरोधी' के तौर पर देख रहा है और उन्हें विधानसभा अध्यक्ष पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा, 'इससे हिंदू समुदाय की भावनाएं आहत हुई हैं और हम इस मुद्दे पर समझौता नहीं कर सकते।'

उन्होंने कहा कि केरल में हिंदू समुदाय में अन्य धर्मों का सम्मान करने और दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचाए बिना शांति और सद्भाव का जीवन जीने की परंपरा है। उन्होंने कहा कि लेकिन, यदि कोई अपमानजनक तरीके से समुदाय के सदस्यों की आस्था का अपमान करने की कोशिश करता है, तो उन्हें कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ेगा और वर्तमान विरोध उसी का हिस्सा है।

नायर ने कहा कि कई अन्य हिंदू संगठनों और भाजपा जैसे राजनीतिक दलों ने भी इस मामले पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा, 'एनएसएस ने भी इस मामले पर ऐसे संगठनों से हाथ मिलाने का फैसला किया है, क्योंकि यह आस्था का मामला है।'

नायर ने कहा, 'आस्था बचाओ दिवस' विरोध का उद्देश्य भगवान गणेश की पूजा करना और आस्था की रक्षा के लिए उनका आशीर्वाद और शक्ति प्राप्त करना है।

अपनी यह मांग दोहराते हुए कि शमसीर को हिंदू समुदाय से माफी मांगनी चाहिए और अपनी टिप्पणी वापस लेनी चाहिए, एनएसएस महासचिव ने यह भी कहा कि आस्था सबसे महत्वपूर्ण चीज है और यह इंसानों का मार्गदर्शन करती है।

नायर ने मंगलवार को संगठन के तालुक संघ अध्यक्षों को एक पत्र भेजा, जिसमें समुदाय के सदस्यों को पास के भगवान गणेश के मंदिरों में पूजा करने का निर्देश दिया। उन्होंने सदस्यों को इस संबंध में किसी भी उत्तेजक या सांप्रदायिक कार्रवाई में शामिल नहीं होने की चेतावनी दी।










संबंधित समाचार