

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सिनेमाघरों में फिल्म के प्रदर्शन के दौरान और टेलीविजन तथा ओटीटी मंच पर तंबाकू विरोधी ग्राफिक या छवियां दिखाने पर पाबंदी लगाने का अनुरोध करने वाली याचिका दायर करने के लिए मंगलवार को एक वकील को फटकार लगाई और कहा कि वह खेद व्यक्त करते हुए हलफनामा दाखिल करे। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सिनेमाघरों में फिल्म के प्रदर्शन के दौरान और टेलीविजन तथा ओटीटी मंच पर तंबाकू विरोधी ग्राफिक या छवियां दिखाने पर पाबंदी लगाने का अनुरोध करने वाली याचिका दायर करने के लिए मंगलवार को एक वकील को फटकार लगाई और कहा कि वह खेद व्यक्त करते हुए हलफनामा दाखिल करे।
याचिका खारिज करने वाली एकल पीठ द्वारा वकील के खिलाफ की गई टिप्पणियों को रिकॉर्ड से हटाने की अपील पर सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को ‘‘खुद में सुधार करने’’ की आवश्यकता है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार पीठ में न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा भी शामिल थीं। पीठ ने वकील से कहा, ‘‘ खेद जताते हुए एक हलफनामा दाखिल किया जाना चाहिए और फिर हम टिप्पणियां हटाएंगे। इस मामले में पूरी तरह खेद जताने की आवश्यकता है।’’
अदालत ने कहा कि सरकार तंबाकू का सेवन करने के हानिकारक असर और परिणाम के बारे में जागरूकता फैलाने के वास्ते कदम उठाने की कोशिश कर रही है और यह याचिका एक ‘‘प्रायोजित मुकदमा’’ हो सकती है।
पीठ ने कहा, ‘‘देखिए कैंसर किस तरह फैल रहा है...मैं एकल पीठ से पूरी तरह सहमत हूं।’’
अदालत ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए सात दिसंबर की तारीख तय की है।
सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (सीओटीपीए) नियमों के तहत स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय तंबाकू रोधी चेतावनियां जारी करता है। इन विज्ञापनों का उद्देश्य तंबाकू सेवन के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करना है।
याचिकाकर्ता ने एकल पीठ के समक्ष दलील दी थी कि उसकी शिकायत फिल्मों और टेलीविजन कार्यक्रमों के दौरान स्वास्थ्य चेतावनियों में तंबाकू विरोधी अप्रिय और अरुचिकर तस्वीरें दिखाने के खिलाफ है। न्यायाधीश ने इस साल की शुरुआत में यह याचिका खारिज कर दी थी।
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