Madhya Pradesh Assembly Election: स्थानीय मुद्दों के लिए कांग्रेस करेगी जिला स्तरीय ‘वचन पत्र’ का अनावरण

मध्य प्रदेश में विपक्षी दल कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए वह राज्य स्तर के अलावा स्थानीय मुद्दों को हल करने के वास्ते हर जिले के लिए एक अलग ‘वचन पत्र’ (चुनाव घोषणा पत्र) जारी करेगी।

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 18 April 2023, 10:42 AM IST
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भोपाल: मध्य प्रदेश में विपक्षी दल कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए वह राज्य स्तर के अलावा स्थानीय मुद्दों को हल करने के वास्ते हर जिले के लिए एक अलग ‘वचन पत्र’ (चुनाव घोषणा पत्र) जारी करेगी।

एक पूर्व मंत्री ने यहां पत्रकारों से कहा कि अगर पार्टी सत्ता में आती है तो राज्य स्तरीय घोषणापत्र में मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा पहले की गई विभिन्न घोषणाएं शामिल होंगी। इनमें 500 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर उपलब्ध कराना, महिलाओं को 1500 रुपये प्रतिमाह की वित्तीय सहायता और राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू करना शामिल है।

कमलनाथ की अध्यक्षता में पार्टी की घोषणा पत्र मसौदा समिति की यहां हुई बैठक में ये फैसले लिए गए।

ढाई घंटे की बैठक के बाद पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक तरुण भनोट ने कहा कि गैस सिलेंडर से जुड़ी घोषणाएं, महिलाओं को आर्थिक सहायता और ओपीएस को लागू करना राज्य स्तरीय ‘वचन पत्र’ का हिस्सा होगा।

उन्होंने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में घोषणापत्र के मुद्दे जैसे कृषि ऋण माफी और रियायती बिजली बिल भी शामिल किए जाएंगे।

उन्होंने कहा कि स्थानीय मुद्दों को हल करने के लिए कांग्रेस जिला स्तर पर एक अलग चुनाव घोषणापत्र भी जारी करेगी। भनोट ने कहा कि लोक कल्याणकारी योजनाओं के अलावा समाज के सभी वर्गों से जुड़ी समस्याएं और वादे दस्तावेज का हिस्सा होंगे।

उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस का ‘वचन पत्र’ आगामी चुनावों में ‘गेम चेंजर’ साबित होगा और इसकी सामग्री को अंतिम रूप देने के लिए समिति फिर से बैठक करेगी।

वर्ष 2018 में कांग्रेस निर्दलीय विधायकों, समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायकों की मदद से सत्ता में आई थी।

हालांकि, कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार 15 महीने बाद मार्च 2020 में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति वफादारी रखने वाले लगभग दो दर्जन कांग्रेस विधायकों के विद्रोह के बाद गिर गई।

उसके बाद, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सत्ता में वापस आई और शिवराज सिंह चौहान चौथी बार मुख्यमंत्री बने।

वर्तमान में 230 सदस्यीय राज्य विधानसभा में कांग्रेस के 96 और भाजपा के 127 विधायक हैं।

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