कांग्रेस नेता उदित राज ने ‘जातिवादी’ टिप्पणी के लिए असम के मुख्यमंत्री की निंदा की

डीएन ब्यूरो

कांग्रेस नेता उदित राज ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा के सोशल मीडिया हैंडल पर डाली गई ‘जातिवादी टिप्पणी’ के लिए शुक्रवार को उनकी निंदा की और भाजपा नेता की सोच को ‘मनुवादी’ करार दिया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

कांग्रेस नेता उदित राज
कांग्रेस नेता उदित राज


नयी दिल्ली: कांग्रेस नेता उदित राज ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा के सोशल मीडिया हैंडल पर डाली गई ‘जातिवादी टिप्पणी’ के लिए शुक्रवार को उनकी निंदा की और भाजपा नेता की सोच को ‘मनुवादी’ करार दिया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार कांग्रेस प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, ‘‘श्री शर्मा ने ‘एक्स’ पर एक श्लोक डाला है, जिसमें वैश्य, शूद्र, ब्राह्मण और क्षत्रियों के गुण रखने वाले लोगों के कर्तव्य बताए गए हैं। इसमें उन्होंने कहा कि शूद्रों का कर्तव्य तथाकथित उच्च जातियों की सेवा करना है।’’

शर्मा ने अपने सोशल मीडिया मंच पर जातिवादी टिप्पणी वाला पोस्ट अपलोड करने के लिए खेद जताया है और कहा है कि उनकी टीम ने भगवद् गीता के श्लोक का ‘अशुद्ध अनुवाद’ किया था।

उदित राज ने अपने बयान में कहा, ‘‘जैसे ही एक प्रमुख समाचार पोर्टल ने एक खबर जारी की और डॉ उदित राज ने ‘एक्स’ पर लिखा, शर्मा ने अपनी पोस्ट हटा ली। हिमंत शर्मा को उनके गुरु प्रधानमंत्री (नरेन्द्र) मोदी से संकेत मिला होगा।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी ने 2007 में ‘कर्मयोग’ नामक पुस्तक लिखी थी, जिसमें कहा गया था कि मैला ढोने के काम में लगे लोगों ने आध्यात्मिकता प्राप्त की है। यदि ऐसा है तो मोदी के अनुयायी मैला ढोने का पेशा अपना लें। जब हर ओर से मोदी की निंदा हुई तो किताब की प्रकाशित 4,000 प्रतियों को वापस ले लिया गया।’’

कांग्रेस नेता ने कहा कि उनकी पार्टी चाहती है कि मोदी माफी मांगें। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं हुआ तो ‘‘माना जाएगा कि वे दलितों और ओबीसी को पुरानी पतनशील सामाजिक व्यवस्था में पीछे धकेलने जा रहे हैं।’’

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राज ने दलितों और अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) के सदस्यों से अपील की कि वे भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ प्रदर्शन करें।

उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें इन फासीवादी शक्तियों को रोकने के लिए खड़े होना चाहिए।’’

असम के मुख्यमंत्री ने बृहस्पतिवार रात को ‘एक्स’ और फेसबुक पर एक पोस्ट में लिखा था कि वह अपने सोशल मीडिया हैंडल पर हर दिन सुबह भगवद् गीता का एक श्लोक अपलोड करते हैं और अब तक 668 श्लोक हो चुके हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हाल में मेरी टीम के एक सदस्य ने अठारहवें अध्याय के 44वें श्लोक को गलत अनुवाद के साथ पोस्ट कर दिया। जैसे ही मेरे संज्ञान में यह गलती आई, मैंने तुरंत उस पोस्ट को हटा दिया... यदि हटाए गए इस पोस्ट से किसी की भावना आहत हुई हो तो मैं हृदय से माफी मांगता हूं।’’

मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि असम महापुरूष श्रीमंत शंकरदेव के समाज सुधार आंदोलन के फलस्वरूप एक जातिविहीन समाज की ‘पूर्ण झलक’ पेश करता है।

गत 26 दिसंबर को शर्मा ने ‘एक्स’ और फेसबुक जैसे अपने सोशल मीडिया हैंडल पर दृश्य-श्रव्य (एवी) पोस्ट अपलोड किया था और दावा किया था कि यह गीता के 18वें अध्याय का संन्यास योग का 44वां श्लोक है।

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उस एनीमेटेड वीडियो में कहा गया था, ‘‘कृषि कार्य, गो-पालन एवं वाणिज्य वैश्यों का आदतन एवं स्वाभाविक कर्तव्य है तथा तीन वर्णों-- ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य की सेवा करना शूद्रों का स्वाभाविक कर्तव्य है।’’

शर्मा ने यह भी कहा था, ‘‘भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं ही वैश्यों और शूद्रों के स्वाभाविक कर्तव्यों के प्रकारों की व्याख्या की है।’’

उनके इस पोस्ट से बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया। विपक्षी नेताओं ने इसे ‘भाजपा की मनुवादी एवं पश्चगामी विचारधारा’ करार देते हुए इसकी आलोचना की।

विपक्ष की भारी आलोचना के बाद शर्मा ने अपने सभी सोशल मीडिया मंचों से इस पोस्ट को हटा दिया।










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