पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प, सुरक्षा बलों ने किया लाठीचार्ज, जानिये पूरा मामला
मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में शुक्रवार रात प्रदर्शनकारियों और पुलिसकर्मियों के बीच फिर से झड़प हो गई और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों ने लाठीचार्ज किया, आंसू गैस और रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया।पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
इम्फाल: मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में शुक्रवार रात प्रदर्शनकारियों और पुलिसकर्मियों के बीच फिर से झड़प हो गई और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों ने लाठीचार्ज किया, आंसू गैस और रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार ‘इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (आईटीएलएफ) द्वारा शाम चार बजे तक बुलाए गए बंद के कुछ घंटे बाद शहर में पुलिस कार्रवाई में कुछ लोगों के मारे जाने और घायल होने की अफवाह है। हालांकि, इस बारे में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।
इससे पहले दिन में, चुराचांदपुर जिले के न्यू लमका क्षेत्र में सद्भावना मंडप में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प की घटनाएं हुईं। ये घटनाएं जहां हुईं, वहां मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को एक जनसभा को संबोधित करना था।
सिंह ने इससे पहले दिन में संकेत दिया था कि चुराचांदपुर जाने की उनकी योजना आयोजकों के अनुरोध पर स्थगित कर दी गई है, क्योंकि संरक्षित वन क्षेत्रों से कुकी ग्रामीणों को हटाने के विरोध में स्थानीय आदिवासियों द्वारा आठ घंटे के बंद का आह्वान किया गया था।
अधिकारियों ने बताया कि बंद प्रभावित क्षेत्र में शांति बनाये रखने के लिए तैनात सुरक्षा बलों पर पथराव कर रही भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े।
उन्होंने बताया, ‘‘पथराव के दौरान कोई हताहत नहीं हुआ है। स्थिति पर नजर रखने के लिए सुरक्षा बलों की तैनाती जारी रहेगी।’’
मुख्यमंत्री को सद्भावना मंडप में एक जनसभा को संबोधित करने और न्यू लमका शहर में ‘पीटी स्पोर्ट्स’ परिसर में उनका एक ओपन जिम का उद्घाटन करने का कार्यक्रम था।
प्रदर्शनकारियों ने हालांकि बृहस्पतिवार को कार्यक्रम स्थल पर हमला किया था और लगभग 100 कुर्सियों और अन्य उपकरणों में आग लगा दी थी।
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सिंह ने कहा कि चुराचांदपुर जिले का दौरा करने की उनकी योजना स्थगित कर दी गई है क्योंकि उन्हें आमंत्रित करने वाले स्थानीय विधायक ने कार्यक्रम को स्थगित करने का फैसला किया है।
मुख्यमंत्री ने यहां कृषि विभाग के एक समारोह के इतर संवाददाताओं से कहा, ‘‘स्थानीय विधायक ने मुझे एक समारोह में और ओपन जिम के उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया था।’’
सिंह ने कहा, ‘‘चुराचांदपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक एल. एम. खौटे ने मुझसे अभी नहीं आने का अनुरोध किया है और कहा है कि ओपन जिम की जल्द ही मरम्मत करा दी जाएगी।’’
सिंह ने ‘इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (आईटीएलएफ) संगठन पर भी सवाल उठाया, जिसने आठ घंटे के बंद का आह्वान किया है। उन्होंने कहा, ‘‘मूल निवासी लोग कौन हैं। हम मूल निवासी लोग हैं। नगा मूल निवासी लोग हैं। कुकी मूल निवासी लोग हैं।’’
इस बीच, चुराचांदपुर जिले में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है और मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं।
चुराचांदपुर के जिलाधिकारी ने पुलिस अधीक्षक से मिली रिपोर्ट के आधार पर आदिवासी बहुल जिले में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू की। रिपोर्ट में कहा गया है कि क्षेत्र में शांति भंग होने की आशंका है और लोगों के जीवन तथा सार्वजनिक संपत्ति को गंभीर खतरा है।
राज्य के गृह विभाग द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया है, ‘‘सोशल मीडिया अफवाह फैलाने वालों के लिए एक हथियार बन गया है और इसका इस्तेमाल आम जनता को भड़काने में किया जा रहा है जिसका चुराचांदपुर तथा फेरजॉल जिलों में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर असर पड़ सकता है।’’
गृह विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है, ‘‘शांति एवं व्यवस्था को बाधित करने से रोकने के लिए चुराचांदपुर और फेरजॉल जिलों में तत्काल प्रभाव से अगले पांच दिन तक मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित रहेगी।’’
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आईटीएलएफ द्वारा संरक्षित वन क्षेत्रों से कुकी ग्रामीणों को हटाये जाने के विरोध में चुराचांदपुर जिले में शुक्रवार को आहूत आठ घंटे के बंद के कारण आदिवासी बहुल इस जिले में सामान्य जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया।
जिला मुख्यालय में न्यू लमका शहर में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को पहले एक कार्यक्रम में शामिल होना था। अब शहर में सन्नाटा पसरा हुआ है क्योंकि सुरक्षाकर्मियों के वाहनों को छोड़कर सभी निजी और सार्वजनिक वाहन सड़क से नदारद रहे।
पुलिस ने बताया कि बंद के चलते सभी दुकानों और प्रतिष्ठानों को बंद रखा गया। प्रदर्शनकारियों को सुबह सड़क जाम करते और टायर जलाते देखा गया।
पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने न्यू लमका शहर के प्रवेश द्वार पर भी मलबा डाल दिया था, लेकिन बाद में पुलिस दलों ने इसे हटा दिया।
पुलिस ने बताया कि अभी तक आदिवासी बहुल जिले में कहीं से भी हिंसा की कोई सूचना नहीं मिली है।
एक अधिकारी ने कहा कि हिंसा की किसी भी घटना को टालने के लिए शहर के सभी प्रमुख चौराहों और इलाकों में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।