मां के पीड़ित होने का उल्लेख करते हुए उच्च न्यायालय ने बच्चे का संरक्षण बुआ को सौंपा
बंबई उच्च न्यायालय ने एक बच्चे का संरक्षण उसकी बुआ को सौंपते हुए कहा कि लड़के की मां गंभीर मनोवैज्ञानिक विकारों से पीड़ित है और उसके पिता बहुत गुस्सैल स्वभाव के हैं। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने एक बच्चे का संरक्षण उसकी बुआ को सौंपते हुए कहा कि लड़के की मां गंभीर मनोवैज्ञानिक विकारों से पीड़ित है और उसके पिता बहुत गुस्सैल स्वभाव के हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक न्यायमूर्ति आर आई छागला की एकल पीठ ने कहा कि अदालत को इस तरह के मुद्दे पर विचार करने के दौरान बच्चे के नैतिक कल्याण और उसके शारीरिक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर अवश्य विचार करना चाहिए।
बच्चे की अभिभावक नियुक्त करने और उसे उसका संरक्षण प्रदान करने का अनुरोध करते हुए महिला द्वारा दायर याचिका पर अदालत ने पांच अक्टूबर को आदेश जारी किया।
न्यायमूर्ति छागला ने आदेश में जिक्र किया कि उन्होंने बच्चे से बातचीत की और पाया कि वह याचिकाकर्ता के साथ भावनात्मक जुड़ाव रखता है क्योंकि वह जन्म के बाद से ही उसकी सरपरस्ती में रहा है।
पीठ ने कहा, ‘‘अदालत को बच्चे के नैतिक कल्याण के साथ-साथ उसके शारीरिक स्वास्थ्य पर भी विचार करना चाहिए।’’
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न्यायमूर्ति छागला ने कहा कि मौजूदा मामले में संरक्षक होने के अपने क्षेत्राधिकार का उपयोग करने में न्यायालय की भूमिका लागू होती है।
अदालत ने कहा, ‘‘बच्चे को जन्म देने वाली मां गंभीर मनोवैज्ञानिक विकारों से पीड़ित है और इस अदालत में आदेश पारित करने के दौरान इस पर भी गौर किया गया है क्योंकि उसकी (जैविक मां) द्वारा काफी हंगामा किया गया, जिससे अदालत की कार्यवाही बाधित हुई। प्रतिवादी संख्या 1 (बच्चे का जैविक पिता) भी बहुत गुस्सैल स्वभाव का है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘अपने क्षेत्राधिकार का उपयोग करते हुए, मेरे विचार से बच्चे का कल्याण याचिकाकर्ता द्वारा सर्वश्रेष्ठ रूप से सुनिश्चित होगा और याचिकाकर्ता को बच्चे का सही मायने में और कानूनन अभिभावक घोषित करने की जरूरत है।’’
अदालत ने बच्चे से मिलने-जुलने की उसके माता-पिता को अनुमति दे दी।
महिला ने अपनी याचिका में दावा किया है कि जब बच्चे का जन्म हुआ था तब उसके भाई और मनौवैज्ञानिक विकारों से पीड़ित उसकी पत्नी ने बच्चे का संरक्षण उसे सौंपने की सहमति जताई थी। बच्चे का जन्म वाडिया अस्पताल में हुआ था जिसने याचिकाकर्ता के नाम से अस्पताल से छुट्टी देने का कार्ड बनाया था।
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महिला एक विधवा है, उसकी अपनी कोई संतान नहीं है। उसने दावा किया कि बच्चे की देखभाल करने के लिए वित्तीय रूप से बेहतर स्थिति में है।
उसने दावा किया कि जब कभी बच्चे को उसके माता-पिता के घर ले जाती वह वहां बीमार पड़ जाता और उसका उपचार कराने की जरूरत पड़ती थी।
बच्चे के पिता ने मार्च 2021 में मध्य मुंबई के भोईवाडा पुलिस थाने में एक शिकायत दायर कर आरोप लगाया था कि याचिकाकर्ता ने उनके बच्चे को अगवा कर लिया है और उसे अवैध रूप से अपने पास रखा है।
महिला ने अपनी याचिका में कहा कि शिकायत दर्ज होने के बाद उसने बच्चे को उसके माता-पिता को सौंप दिया, लेकिन दो महीने बाद दंपति ने बच्चे का स्वास्थ्य खराब होने का हवाला देते हुए उसे वापस ले जाने को कहा था।