अनुच्छेद 226 के तहत याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में लाने पर प्रधान न्यायाधीश ने सवाल खड़ा किया

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को टिप्पणी की कि दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल (एलजी) के बीच ‘हर विवाद’ को शीर्ष अदालत में क्यों लाया जाना चाहिए। इसके साथ ही न्यायालय ने दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) को अपनी शिकायत लेकर उच्च न्यायालय का रुख करने को कहा। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 15 December 2023, 8:52 PM IST
google-preferred

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को टिप्पणी की कि दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल (एलजी) के बीच ‘हर विवाद’ को शीर्ष अदालत में क्यों लाया जाना चाहिए। इसके साथ ही न्यायालय ने दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) को अपनी शिकायत लेकर उच्च न्यायालय का रुख करने को कहा।

डीसीपीसीआर ने अपनी निधि को कथित तौर पर रोके जाने को लेकर उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा, ‘‘यह क्या हो रहा है, दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच हर विवाद अनुच्छेद 226 के तहत एक याचिका के रूप में यहां आ रहा है।’’

संविधान का अनुच्छेद 226 कुछ रिट (परमादेश) जारी करने की उच्च न्यायालयों की शक्ति से संबंधित है।

पीठ ने डीसीपीसीआर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन से कहा, ‘‘दिल्ली उच्च न्यायालय जाइये। हमें यहां (अनुच्छेद) 32 के तहत याचिका पर विचार क्यों करना चाहिए।’

शंकरनारायणन ने कहा कि आयोग द्वारा दाखिल याचिका दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच अब तक शीर्ष अदालत में आए अन्य विवादों से थोड़ी अलग है। उन्होंने कहा, ‘‘यह एक आयोग है और आयोग का पैसा रोक दिया गया है।’’

प्रधान न्यायाधीश ने उन्हें बताया कि शीर्ष अदालत ने व्यापक संवैधानिक मुद्दों से संबंधित याचिकाओं पर विचार किया है।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘अब उच्च न्यायालय जाएं।’’

शंकरनारायणन ने अपनी दलील रखते हुए कहा कि आयोग के पैसे को रोका नहीं जा सकता।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच का मामला हर दो दिन में यहां आ रहा है। बस मार्शल योजना बंद कर दी गई और हमें (अनुच्छेद) 32 के तहत एक याचिका मिली।’’

शंकरनारायणन ने कहा कि डीसीपीसीआर एक स्वतंत्र आयोग है और इसके सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो गया है। उन्होंने कहा कि फिलहाल आयोग नये सिरे से उच्च न्यायालय जाने की स्थिति में नहीं है।

याचिका का निपटारा करते हुए पीठ ने कहा कि याचिका को संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत याचिका के रूप में पुनः क्रमांकित किया जाएगा।

No related posts found.