भारत से यूरोपीय संघ को इस्पात निर्यात पर पड़ेगा कार्बन कर का असरः रिपोर्ट

डीएन ब्यूरो

यूरोपीय संघ में अक्टूबर से कार्बन सीमा समायोजन प्रणाली (सीबीएएम) लागू होने से भारत का यूरोपीय देशों को होने वाला इस्पात निर्यात प्रभावित हो सकता है। बृहस्पतिवार को एक रिपोर्ट में यह आशंका जताई गई।

कार्बन (फाइल)
कार्बन (फाइल)


नई दिल्ली: यूरोपीय संघ में अक्टूबर से कार्बन सीमा समायोजन प्रणाली (सीबीएएम) लागू होने से भारत का यूरोपीय देशों को होने वाला इस्पात निर्यात प्रभावित हो सकता है। बृहस्पतिवार को एक रिपोर्ट में यह आशंका जताई गई।

रेटिंग एजेंसी इक्रा ने इस रिपोर्ट में कहा कि सीबीएएम के तहत यूरोपीय संघ को निर्यात किए जाने वाले कुछ उत्पादों पर कार्बन कर लागू होने से भारत का इस्पात निर्यात प्रभावित होने लगेगा। यह असर कैलेंडर वर्ष 2026 से लेकर 2034 के दौरान देखने को मिलेगा।

इक्रा रेटिंग्स ने कहा कि यूरोपीय संघ दुनिया में इस्पात खपत के मामले में दूसरे स्थान पर है। भारत से इस समूह को निर्यात किया जाने वाला 15-40 प्रतिशत इस्पात कार्बन कर लगाने से प्रभावित हो सकता है। इस्पात उत्पादन में कार्बन उत्सर्जन घटाने में नाकाम रहने पर यूरोपीय बाजार में लाभ कम हो सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत हर साल यूरोप को 50 लाख टन तक तैयार इ्स्पात का निर्यात करता है।

इक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जयंत रॉय ने कहा, 'यूरोप ऐतिहासिक रूप से भारतीय इस्पात मिलों के लिए एक महत्वपूर्ण निर्यात गंतव्य रहा है और हमारे कुल इस्पात निर्यात में इसकी हिस्सेदारी 15-40 प्रतिशत तक रही है। लेकिन भारतीय इस्पात कारखानों का कार्बन उत्सर्जन अन्य देशों के प्रतिस्पर्द्धियों के मुकाबले अधिक है।'










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