दिमागी तौर पर मृत घोषित बच्चे के अंगों ने दो बच्चों को नयी जिंदगी दी

डीएन ब्यूरो

सिर में चोट लगने के बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली में दिमागी तौर पर मृत घोषित किए गए छह साल के एक बच्चे के परिवार ने उसके अंगों को दान कर दिया, जिससे दो बच्चों को नया जीवन मिला। सूत्रों ने इसकी जनकारी दी।

जिंदगी (फाइल)
जिंदगी (फाइल)


नई दिल्ली: सिर में चोट लगने के बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली में दिमागी तौर पर मृत घोषित किए गए छह साल के एक बच्चे के परिवार ने उसके अंगों को दान कर दिया, जिससे दो बच्चों को नया जीवन मिला। सूत्रों ने इसकी जनकारी दी।

सूत्रों ने बताया कि हाल ही में बच्चे को दिमागी तौर पर मृत घोषित कर दिया गया था और काउंसलिंग के बाद परिवार ने अंग दान करने की सहमति दे दी।

गौरतलब है कि नाबालिग बच्चे की 21 अप्रैल को मौत हो गयी थी ।

उल्लेखनीय है कि 15 अप्रैल को एक दोपहिया वाहन की चपेट में आने से बच्चे के सिर में गंभीर चोट आई थी, और उसे एम्स के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था।

पिछले साल अप्रैल के बाद यह पांचवां मौका है जब (एक से छह वर्ष) आयु के किसी बच्चे के एम्स के जेपीएन ट्रॉमा सेंटर में अंग दान किए गए हैं और कुल मिलाकर इस अवधि में यह अंग दान का 19वां मामला है।

एम्स में न्यूरो सर्जरी के प्रोफेसर डॉ. दीपक गुप्ता ने बताया कि बच्चे एक बहुत ही खास समूह हैं और दिमागी तौर पर मृत्यु प्रमाणन, दिमागी तौर पर मृत अंगदाता के अंगों के रखरखाव तथा इनके प्रतिरोपण के लिए लक्षित दृष्टिकोण की जरूरत होती है।

देश भर में गुर्दे, यकृत और हृदय की अंतिम अवस्था की बीमारियों से पीड़ित बच्चों के लिए बड़े पैमाने पर अंगों की आवश्यकता है और बच्चों में अंग प्रतिरोपण के संबंध में चिकित्सकों के लिए नियमित अंतराल पर प्रशिक्षण की जरूरत है।










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