Narendra Chanchal: भजन सम्राट एवं गायक नरेंद्र चंचल का 80 साल की उम्र में निधन
प्रसिद्ध भजन गायक नरेंद्र चंचल का गुरुवार को दिल्ली के अपोलो अस्ताल में निधन हो गया। उनकी उम्र 80 साल थी। वह पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे।
नई दिल्ली: भजन सम्राट और प्रसिद्ध गायक नरेंद्र चंचल का गुरुवार को राजधदिल्ली में निधन हो गया। बताया जाता है कि वे पिछले 3 महीने से बीमार चल रहे थे। नरेंद्र चंचल के ब्रेन में क्लोटिंग थी। इलाज के दौरान दिल्ली के अपोलो अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। उनकी उम्र 80 साल थी। नरेंद्र चंचल अपने पीछे दो बेटे और एक बेटी छोड़ गए हैं।
नरेंद्र चंचल के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई बड़े नेताओं और बॉलीवुड, संगीत व गायकी से जुड़ी कई बड़ी हस्तियों ने दुख जताया है।
लोकप्रिय भजन गायक नरेंद्र चंचल जी के निधन के समाचार से अत्यंत दुख हुआ है। उन्होंने भजन गायन की दुनिया में अपनी ओजपूर्ण आवाज से विशिष्ट पहचान बनाई। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम् शांति!
— Narendra Modi (@narendramodi) January 22, 2021
नरेंद्र चंचल देवीमां के भक्ति गीतों के लिए जाने-जाते थे। उन्होंने बॉलिवुड में कई हिट गानों को आवाज दी है। नरेंद्र चंचल को बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिल चुका है। उन्होंने न सिर्फ शास्त्रीय संगीत में अपना नाम कमाया बल्कि लोक संगीत में भी लोगों की दिल जीता।
भजन सम्राट एवं गायक श्री नरेंद्र चंचल के निधन से मुझे गहरा दुःख हुआ है। उनके द्वारा गाए गए भजन संगीत प्रेमियों की स्मृतियों में हमेशा ताज़ा रहेंगे। उनके निधन से संगीत की दुनिया की बड़ी क्षति हुई है।मैं उनके परिवार एवं उनके प्रसंशकों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूँ। ॐ शांति!
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) January 22, 2021
बताया जाता है कि नरेंद्र चंचल को गायकी की प्रेरणा अपनी मां से मिली। नरेंद्र चंचल ने बचपन से ही अपनी मां कैलाशवती को मातारानी के भजन गाते हुए सुना। इसी वजह से उनकी रुचि भी गायकी में बढ़ी। उनके शरारती स्वभाव और चंचलता की वजह से उनके शिक्षक उन्हें 'चंचल' कहकर बुलाते थे। बाद में नरेंद्र ने अपने नाम के साथ हमेशा के लिए चंचल जोड़ लिया।
उन्होंने राज कपूर की फिल्म बॉबी में 'बेशक मंदिर मस्जिद तोड़ो' गाना गाया। ये गाना आज भी लोगों की जुबान पर रहता है। नरेंद्र को पहचान मिली फिल्म 'आशा', में गाए माता के भजन 'चलो बुलावा आया है' से जिसने रातों रात उन्हें मशहूर बना दिया। दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत में उनका बड़ा नाम था।