बड़ी आईटी कंपनियां व्यापक अनिश्चितताओं के बीच शीर्ष स्तर पर बदलावों से रूबरू

वैश्विक परिदृश्य में व्यापक अनिश्चितताओं के बड़ी आईटी कंपनियां नेतृत्व परिवर्तन और वरिष्ठ स्तर पर बदलावों का सामना कर रही हैं। इनमें इन कंपनियों के कुछ बेहद जानेमाने चेहरे शामिल हैं। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 19 March 2023, 6:23 PM IST
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नयी दिल्ली: वैश्विक परिदृश्य में व्यापक अनिश्चितताओं के बड़ी आईटी कंपनियां नेतृत्व परिवर्तन और वरिष्ठ स्तर पर बदलावों का सामना कर रही हैं। इनमें इन कंपनियों के कुछ बेहद जानेमाने चेहरे शामिल हैं।

निचले स्तर पर नौकरी छोड़ने की खबरें पहले भी सुर्खियां बटोर चुकी हैं, लेकिन इस बार टीसीएस और इंफोसिस जैसी कंपनियों में वरिष्ठ नेतृत्व का इस्तीफा सुर्खियों में है।

इंफोसिस में कुछ महीनों में दो अध्यक्ष स्तर के पदाधिकारियों ने अपना पद छोड़ दिया। रवि कुमार और मोहित जोशी ने क्रमशः कॉग्निजेंट और टेक महिंद्रा में शामिल होने के लिए कंपनी छोड़ दी।

पिछले हफ्ते, टेक महिंद्रा ने जोशी को प्रबंध निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) बनाने की घोषणा की। वह इस साल 19 दिसंबर को सी पी गुरनानी के सेवानिवृत्त होने के बाद उनका पदभार ग्रहण करेंगे।

देश की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर सेवा कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने बृहस्पतिवार को अचानक घोषणा की कि उसके सीईओ राजेश गोपीनाथन 15 सितंबर तक ही पदभार संभालेंगे, जबकि उनके कार्यकाल में अभी चार साल से अधिक का वक्त बचा था।

उद्योग के दिग्गज और इंफोसिस के पूर्व निदेशक टी वी मोहनदास पई ने पीटीआई-भाषा को बताया, ''कुल मिलाकर, कई कंपनियों में मची उथल-पुथल एक साथ आने वाले कई कारकों का नतीजा है। उद्योग के लिए यह अच्छी बात है कि समय-समय पर नेतृत्व का परिवर्तन होता है, क्योंकि इससे नए लोग और नयी सोच आती है।''

पई ने कहा, ''कॉग्निजेंट जैसे एक या दो अपवादों को छोड़कर, सामान्य कारण यह है कि सभी लोगों ने महामारी के तनाव को देखा है। कुछ लोग थकान महसूस कर रहे होंगे और बदलाव चाहते हैं। दूसरा, उनमें से कई महामारी के बाद अपने करियर को फिर से आकार दे रहे हैं। वे अपनी कंपनियों में सीईओ बनने का इंतजार नहीं करना चाहते, इसलिए जब भी उन्हें कहीं और सीईओ बनने का मौका मिलता है, तो वे चले जाते हैं।''

उन्होंने कहा कि कुछ लोग महामारी के बाद सेवानिवृत्त होना चाहते हैं। इस तरह कई कारण हैं, जिनके चलते यह उठा-पटक चल रही है।

भाषा पाण्डेय रमण

रमण

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