Microsoft: माइक्रोसॉफ्ट के रिटायमेंट फंड में बड़ी हेरा-फेरी, पांच लोगों पर मामला दर्ज

डीएन ब्यूरो

कथित तौर पर खुद को माइक्रोसॉफ्ट प्रौद्योगिकी सहायक बता कर एक अमेरिकी नागरिक की सेवानिवृत्ति कोष से चार लाख अमेरिकी डॉलर (मौजूदा दरों के अनुसार 3.37 करोड़ रुपये) निकालने के लिए सीबीआई ने पांच लोगों के विरूद्ध मामला दर्ज किया है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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नयी दिल्ली: कथित तौर पर खुद को माइक्रोसॉफ्ट प्रौद्योगिकी सहायक बता कर एक अमेरिकी नागरिक की सेवानिवृत्ति कोष से चार लाख अमेरिकी डॉलर (मौजूदा दरों के अनुसार 3.37 करोड़ रुपये) निकालने के लिए सीबीआई ने पांच लोगों के विरूद्ध मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के आधार पर दिल्ली स्थित प्रफुल्ल गुप्ता, सरिता गुप्ता, कुणाल अलमादी, गौरव पाहवा और कानपुर स्थित ऋषभ दीक्षित के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है।

एजेंसी ने एक बयान में कहा कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली के दिलशाद गार्डन और जनकपुरी तथा कानपुर के किदवई नगर में आरोपियों के परिसरों पर तलाशी ली।

ऐसा आरोप है कि पीड़िता लिसा रोथ का लैपटॉप हैक कर लिया गया था, जिसके बाद उसने स्क्रीन पर आ रहे एक नंबर पर कॉल किया और माइक्रोसॉफ्ट से संबद्ध होने का दिखावा करने वाले एक व्यक्ति ने उसे यह बताकर गुमराह किया कि उनके सेवानिवृत्ति खाते से कुछ ‘वायर ट्रांसफर’ (रुपये अंतरण करने का ऑनलाइन तरीका) किए गए थे।

सीबीआई की प्राथमिकी में कहा गया कि आरोपियों ने उन्हें ‘फिडेलिटी इन्वेस्टमेंट्स’ से संपर्क करने की सलाह दी।

जब रोथ ने कथित माइक्रोसॉफ्ट कर्मचारी द्वारा दिए गए नंबर पर कॉल किया, तो उसे अपने फिडेलिटी इन्वेस्टमेंट्स खाते से अधिक सुरक्षित खाते में धन हस्तांतरित करने का निर्देश दिया गया।

प्राथमिकी में कहा गया कि फोन कॉल के दौरान, कॉल करने वाले ने धोखे से रोथ के कंप्यूटर तक दूर से पहुंच (रिमोट एक्सेस) हासिल कर ली और उनके फिडेलिटी इन्वेस्टमेंट्स अकाउंट से ‘फर्स्ट स्टेट बैंक’ के उनके खाते में तीन लाख अमेरिकी डॉलर (मौजूदा दरों के अनुसार 2.48 करोड़ रुपये) अंतरित कर दिए।

इसके बाद कॉल करने वाले ने रोथ की ओर से एक वेबसाइट पर खाता खोला और उन्हें उस वेबसाइट के “प्राइम ट्रस्ट” नामक खाते में तीन लाख अमेरिकी डॉलर इलेक्ट्रॉनिक रूप से भेजने की सलाह दी।

प्राथमिकी में बताया गया, “इसके अनुरूप, रोड फर्स्ट स्टेट बैंक पहुंची और ‘प्राइम ट्रस्ट’ में तीन लाख अमेरिकी डॉलर अंतरण की कोशिश की।”

इसमें कहा गया, “कुछ दिनों के बाद हालांकि उक्त लेनदेन को वेबसाइट द्वारा अस्वीकार कर दिया गया क्योंकि रोथ ने ‘प्राइम ट्रस्ट’ के स्थान पर ‘प्राइम टाइटल’ गलत लिखा था और राशि उनके फर्स्ट स्टेट बैंक खाते में वापस कर दी गई थी।”

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, सीबीआई ने आरोप लगाया कि लेनदेन अस्वीकृत होने के बाद, कॉल करने वाले ने फिर से रोथ से संपर्क किया और उनसे उनके फिडेलिटी इन्वेस्टमेंट्स खाते से अतिरिक्त धन उनके फर्स्ट स्टेट बैंक खाते में अंतरित करने को कहा जिससे चार लाख अमेरिकी डॉलर (मौजूदा दरों के अनुसार 3.37 करोड़ रुपये) की राशि अधिक सुरक्षित खाते में स्थानांतरित कर दी जाए।

कॉल करने वाले ने रोथ के सिस्टम पर अनधिकृत रिमोट कंट्रोल का इस्तेमाल करते हुए उनके मोबाइल नंबर और ई-मेल आईडी का उपयोग करके उसके लिए एक ओकेकॉइन खाता खोला और उन्हें इसमें चार लाख अमेरिकी डॉलर अंतरित करने की सलाह दी।

भ्रामक सलाह के बाद, उन्होंने पिछले साल सात जून को ओकेकॉइन खाते में 400,000 अमेरिकी डॉलर भेज दिए। कुछ सप्ताह के बाद हालांकि जब उन्होंने अपने ओकेकॉइन खाते में लॉग इन किया, तो पाया कि उनका खाता खाली था।










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