भारतीय गोलकीपर कृष्ण बहादुर पाठक का एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी को लेकर पढ़ें ये बड़ा बयान
भारतीय गोलकीपर कृष्ण बहादुर पाठक का मानना है कि एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी (एसीटी) में खेलने वाली टीमों को आगामी एशियाई खेलों के साथ पेरिस ओलंपिक में भी फायदा होगा क्योंकि यहां उसी ‘पॉलीग्रास टर्फ’ का इस्तेमाल हुआ है जिस पर उन बड़े खेलों का आयोजन होना है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
चेन्नई: भारतीय गोलकीपर कृष्ण बहादुर पाठक का मानना है कि एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी (एसीटी) में खेलने वाली टीमों को आगामी एशियाई खेलों के साथ पेरिस ओलंपिक में भी फायदा होगा क्योंकि यहां उसी ‘पॉलीग्रास टर्फ’ का इस्तेमाल हुआ है जिस पर उन बड़े खेलों का आयोजन होना है। एसीटी का आयोजन यहां के मेयर राधाकृष्णन हॉकी स्टेडियम में हो रहा है जहां नयी ‘पॉलीग्रास टर्फ’ बिछायी गयी है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, भारतीय टीम को इस सतह पर तेजी से खेलने की आदत डालनी होगी क्योंकि इसी टर्फ का भी उपयोग पेरिस ओलंपिक में भी होगा। उन्होने कहा, ‘‘ यह वास्तव में एक अच्छा टर्फ है, हमें इस टर्फ का अनुभव देने के लिए तमिलनाडु सरकार को धन्यवाद। इसका उपयोग ओलंपिक के दौरान भी होगा।’’ पाठक ने कहा, ‘‘ यह नयी टर्फ है इसलिये इस पर खेल थोडा धीमा है। हम इस पर लगातार खेल कर इसके अभ्यस्त हो जायेंगे। यह इस पर निर्भर करता है कि कितना जल्दी इसके अभ्यस्त होते हैं।
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’’ ‘पॉलीग्रास पेरिस जीटी जीरो’ को शून्य कार्बन उत्सर्जन करने वाली हॉकी टर्फ के रूप में वर्णित किया गया है जो 80 प्रतिशत ‘बायोबेस्ड सामग्री ( गन्ने) से बनी है। एशियाई खेलों से पहले एसीटी में खेलने के बारे में पूछे जाने पर पाठक कहा, ‘‘मैंने आज तक जो भी टूर्नामेंट खेले हैं, वे सभी मेरे लिए खास रहे हैं। हर टूर्नामेंट की तैयारी अलग होती है, चाहे वह प्रो-लीग हो या एसीटी। एशियाई खेलों की तैयारी भी अलग तरीके की होगी।
’’ उन्होंने कहा, ‘‘ यह प्रतियोगिता हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है और हम यहां से आत्मविश्वास बनाने में सक्षम होंगे। जो टीमें हांगझोउ में भाग लेंगी, वे एसीटी में शामिल होंगी। इसके अलावा श्रीलंका और हांगकांग जैसी कुछ अतिरिक्त टीमें भी वहां हो सकती है।‘‘ पंजाब के कपूरथला के इस 26 साल के खिलाड़ी ने एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान टीम के लिए अंतरराष्ट्रीय मैचों का सैकड़ा पूरा किया। पाठक ने कहा कि इतनी लंबी यात्रा के बावजूद वह हर दिन नई चीजें सीखते रहते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ हम हर समय सीखते रहते हैं।
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जब से मैं अंडर-18 टीम से आया हूं, मैं बहुत कुछ सीख रहा हूं, खासकर गोलपोस्ट से टीम का मार्गदर्शन करने और रक्षापंक्ति के साथ सामंजस्य बैठाने को लेकर कैसे काम कर रहा हूं।’’ भाषा आनन्द नमितानमिता