अरविंद केजरीवाल ने आबकारी नीति मामले में ईडी पर लगाये ये गंभीर आरोप, जानिये क्या कहा

डीएन ब्यूरो

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पर आबकारी नीति मामले में अदालत को झूठे सबूतों से गुमराह करने का आरोप लगाया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल


नयी दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पर आबकारी नीति मामले में अदालत को झूठे सबूतों से गुमराह करने का आरोप लगाया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार दिल्ली विधानसभा में आंबेडकर जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद संवाददाताओं से मुखातिब केजरीवाल ने कहा, “ईडी लोगों को प्रताड़ित करके और उन पर दबाव बनाकर झूठे बयान ले रही है। संजय सिंह के मामले में भी यह बात सामने आई है कि आरोपियों ने अलग बयान दिया और ईडी ने आरोपपत्र में कुछ और लिखा।”

मुख्यमंत्री ने ईडी द्वारा दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर लगाए गए मोबाइल फोन नष्ट करने के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर यह बात कही।

उन्होंने कहा कि ईडी ने दावा किया है कि सिसोदिया ने अपने मोबाइल फोन नष्ट कर दिए थे, लेकिन इनमें से कई फोन जांच एजेंसी के पास हैं।

केजरीवाल ने कहा, “ईडी अदालत को झूठे सबूतों से गुमराह कर रही है, लोगों को प्रताड़ित कर रही है और झूठे बयान ले रही है। इस पूरे मामले में कुछ भी नहीं है। पूरा मामला मनगढ़ंत और झूठे सबूतों पर आधारित है।”

उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार डॉ. बी आर आंबेडकर के नक्शेकदम पर चलते हुए शिक्षा को सबसे ज्यादा महत्व दे रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा, “आज बाबासाहेब आंबेडकर की जयंती है, जो भारतीय इतिहास के सबसे चमकते सितारे हैं, जिन्हें उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा और जिन्होंने अंतत: भारत का संविधान लिखा।”

उन्होंने कहा, “बाबासाहेब ने अपने जीवन में सबसे बड़ा संदेश यह दिया कि हर किसी को अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए। और उनके नक्शेकदम पर चलते हुए हम भी शिक्षा को सबसे ज्यादा अहमियत दे रहे हैं। चाहे वह गरीब का बच्चा हो या अमीर का बच्चा, हर किसी को अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए।”

ईडी ने बुधवार को दिल्ली की एक अदालत से कहा था कि कथित आबकारी घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में गिरफ्तार सिसोदिया ने यह दर्शाने के लिए फर्जी ईमेल का सहारा लिया था कि नीति को जनता की स्वीकृति हासिल थी।

जांच एजेंसी ने विशेष न्यायाधीश एम के नागपाल के समक्ष सिसोदिया की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए यह दलील पेश की थी।










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