दिल्ली सरकार के स्कूलों के 35 प्रधानाध्यापकों की नियुक्तियां जांच के घेरे में, फर्जी दस्तावेजों लेकर याचिका दायर, जानिये पूरा मामला

दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की गई है जिसमें अधिकारियों को ‘‘जाली दस्तावेजों’’ के आधार पर दिल्ली सरकार के स्कूलों के 35 नव-नियुक्त प्रधानाध्यापकों के चयन की जांच करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Updated : 30 September 2023, 5:26 PM IST
google-preferred

नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की गई है जिसमें अधिकारियों को ‘‘जाली दस्तावेजों’’ के आधार पर दिल्ली सरकार के स्कूलों के 35 नव-नियुक्त प्रधानाध्यापकों के चयन की जांच करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

जनहित याचिका में आरोप लगाया गया कि 35 उम्मीदवार जाली दस्तावेजों के आधार पर अपना दावा करने में कामयाब रहे और उनका चयन अवैध रूप से किया गया। याचिका में कहा गया कि दिल्ली सरकार का शिक्षा विभाग इन उम्मीदवारों द्वारा जमा किए गए आवश्यक दस्तावेजों की जांच करने में पूरी तरह नाकाम रहा, जिसके परिणामस्वरूप उनका गलत तरीके से चयन हुआ।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता नवेंदु चैरिटेबल ट्रस्ट के वकील ने उन लोगों को पक्षकार बनाने के लिए समय मांगा, जिनके खिलाफ आरोप लगाए गए हैं। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील को समय दिया और मामले को 18 अक्टूबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

दिल्ली सरकार की तरफ से उसके स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी और वकील अरुण पंवार पेश हुए। याचिका में आरोप लगाया गया कि इनमें से कुछ उम्मीदवारों ने आठ लाख रुपये से अधिक की वार्षिक पारिवारिक आय होने के बावजूद अपने चयन के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) का फर्जी प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया, जबकि अन्य ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण का लाभ उठाया और फर्जी कार्य अनुभव संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत किए।

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता केवल इन उम्मीदवारों का पता लगा पाया लेकिन कुछ और भी अनियमितता और अवैध चयन हो सकता है।

याचिका में कहा गया, ‘‘त्रुटिपूर्ण एवं गलत चयन के कारण अनेक योग्य उम्मीदवारों को अस्वीकृत कर दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप संविधान के अनुच्छेद 16 का उल्लंघन हुआ। ये उम्मीदवार परिवीक्षा अवधि के लिए हैं और 1.75 लाख रुपये (मासिक) से अधिक वेतन ले रहे हैं और यदि उन्हें स्थायी किया जाता है, तो जांच की प्रक्रिया और अधिक जटिल हो जाएगी।’’

याचिका में आरोप लगाया, ‘‘घोटाले के कारण वास्तविक योग्य कर्मचारी नुकसान झेल रहे हैं। बेरोजगारी भारत में सबसे बड़े मुद्दों में से एक है। उच्च बेरोजगारी दर के बीच यह घृणित धोखाधड़ी हो रही है।’’

याचिका में परिवीक्षा अवधि समाप्त होने से पहले इन उम्मीदवारों के चयन की जांच करने और जांच कराने के लिए दिल्ली सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

Published : 
  • 30 September 2023, 5:26 PM IST

Related News

No related posts found.