कैंसर के इलाज को लेकर सामने आया बड़ा अपडेट, अब आयुर्वेद दवाएं होगी कारगर

डीएन ब्यूरो

राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल, जम्मू कश्मीर के आयुष महानिदेशालय और एमिल फार्मा आयुर्वेद आधारित एक कैंसर-रोधी दवा की प्रभावकारिता की साथ मिलकर जांच करेंगे। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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नयी दिल्ली: राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल, जम्मू कश्मीर के आयुष महानिदेशालय और एमिल फार्मा आयुर्वेद आधारित एक कैंसर-रोधी दवा की प्रभावकारिता की साथ मिलकर जांच करेंगे।

आयुष मंत्रालय के तहत आने वाले राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के विशेषज्ञों द्वारा विकसित ‘फार्मूला’ ‘वी2एस2’ को कई औषधीय पौधों से निकाले गये हाइड्रो-एल्कोहोलिक तत्वों से तैयार किया गया है।

जयपुर स्थित संस्थान के कुलपति डॉ संजीव शर्मा ने कहा कि इसके कैंसररोधी गुणों की प्रयोगशाला जांच में पहले ही पुष्टि हो चुकी है। उन्होंने बताया कि इसे प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने और कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि रोकने में भी प्रभावकारी पाया गया है। अब औपचारिक ‘इन-वीवो’ (जीवित जीव पर) जांच के लिए यह समझौता किया गया है।

शर्मा ने कहा कि जंतुओं पर दवा का परीक्षण जल्द शुरू किया जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘ये परीक्षण टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल, मुंबई में नौ से 12 महीने की अवधि तक किये जाएंगे। इसके परिणामों के आधार पर राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान और जम्मू कश्मीर आयुष विभाग मानव पर परीक्षण करेगा। परीक्षण के लिए दवा निर्मित करने की जिम्मेदारी एमिल फार्मास्युटिकल्स को सौंपी गई है, जो फिर इसे लोगों के लिए बाजार में उपलब्ध कराएगी।’’

एमिल फार्मास्युटिकल्स के कार्यकारी निदेशक डॉ संचित शर्मा ने इस समझौते को कैंसर की दवा के लिए अनुसंधान की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि अगले दो-तीन वर्षों में आयुर्वेद देश-विदेश में कैंसर के रोगियों को उपचार का एक प्रभावकारी विकल्प मुहैया कर सकेगा।

उन्होंने कहा कि दवा के परीक्षण के शुरूआती नतीजे बहुत उत्साहजनक हैं, जिनमें यह प्रदर्शित हुआ है कि यह मानव की प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाती है और कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को धीमा करती है।

एनआईए जयुपर में आयोजित समारोह में डा. संजीव शर्मा के अलावा एमिल फार्मा के उपाध्यक्ष डा. अनिल शर्मा, आयुष महानिदेशालय जम्मू-कश्मीर के डा. संदीप चरक मौजूद थे। वहीं, टाटा मेमोरियल के एडवांस सेंटर फार ट्रीटमेंट, रिर्सच एंड एजुकेशन (एसीटीआरईसी) मुंबई की प्रधान शोधकर्ता डा. ज्योति कोडे ने डिजिटल तौर पर इसमें भाग लिया।

यह पहला मौका नहीं है जब एमिल फार्मास्युटिकल्स साक्ष्य आधारित शोध के लिए किसी अग्रणी शोध संस्थान के साथ जुड़ा है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, इससे पहले यह सीएसआईआर द्वारा निर्मित मधुमेह रोधी दवा बीजीआर-34 और डीआरडीओ द्वारा विकसित सफेद दाग की दवा ल्यूकोस्किन को सफलतापूर्वक बाजार में उतार चुका है। इन दवाओं से लाखों लोगों को फायदा हुआ है। सरकार की कोशिश है कि सरकारी प्रयोगशालाओं द्वारा विकसित दवाएं लैब से निकलकर लोगों तक पहुंचें। इसी उद्देश्य के तहत निजी क्षेत्र के साथ भागीदारी बढ़ाई जा रही है।










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