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दोपहिया वाहन पर MLA का स्टीकर! रुतबा दिखाने का नया तरीका या कानून की खुली अवहेलना?

राजस्थान के भीलवाड़ा शहर से एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां एक विधायक के दोपहिया वाहन पर लगा स्टीकर चर्चा का विषय बन गया है। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी खबर
Post Published By: सौम्या सिंह
Published:
दोपहिया वाहन पर MLA का स्टीकर! रुतबा दिखाने का नया तरीका या कानून की खुली अवहेलना?

भीलवाड़ा: शहर में इन दिनों एक अनोखे मामले को लेकर चर्चा में है। जहां अब तक MLA (विधायक) का स्टीकर आमतौर पर चारपहिया वाहनों पर देखा जाता रहा है, वहीं अब एक दोपहिया वाहन पर लगे ऐसे ही स्टीकर ने शहर में हलचल मचा दी है। यह मामला केवल अचरज का नहीं, बल्कि नियमों और कानूनों की धज्जियां उड़ाने का प्रतीक बनता जा रहा है।

भीलवाड़ा में MLA स्टीकर वाली बाइक…

दरअसल, शहर में घूमते एक मोटरसाइकिल पर ‘MLA’ का स्टीकर बड़े ही साफ तौर पर चिपका देखा गया। हैरान करने वाली बात यह रही कि उस स्टीकर पर बाकायदा वाहन संख्या, वैधता की दिनांक और विधानसभा का प्रतीक चिन्ह भी अंकित था। यह सब कुछ देखने में इतना असली लगा कि एक बार को किसी को शक भी नहीं हुआ कि यह फर्जी हो सकता है।

स्कूटी पर लगा MLA का स्टीकर

कौन दे रहा है ये विशेषाधिकार?

स्थानीय लोगों के बीच यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि क्या अब MLA का रुतबा दिखाने के लिए बाइक पर स्टीकर चिपकाना भी ट्रेंड बनता जा रहा है? शहर की सड़कों पर यह दोपहिया वाहन धड़ल्ले से घूमता नजर आ रहा है, मानो किसी ‘विशेषाधिकार’ के तहत चल रहा हो।

पुलिस और सचिवालय की चुप्पी सवालों के घेरे में

इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि भीलवाड़ा पुलिस और विधानसभा सचिवालय आखिर इस पर क्या रुख अपनाएंगे? क्या इस तरह के फर्जी या अनधिकृत MLA स्टीकर पर कार्रवाई होगी? क्या ऐसे स्टिकर लगाकर कोई भी आम नागरिक नियमों से ऊपर हो सकता है?

ज्ञात रहे कि इससे पहले भी राजस्थान विधानसभा द्वारा जारी वाहन पास जैसे हूबहू नकली पास बनवाकर कई मामलों में फर्जीवाड़ा सामने आ चुका है। लेकिन दोपहिया वाहन पर MLA स्टीकर लगाने का यह मामला संभवतया पहला है, जिसने सिस्टम की निगरानी और नियंत्रण व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

कानून से ऊपर कौन?

विधानसभा द्वारा जारी MLA स्टीकर केवल अधिकृत और संबंधित वाहनों को दिए जाते हैं, वो भी पहचान, अनुमोदन और वैधता की प्रक्रिया के बाद। ऐसे में किसी मोटरसाइकिल पर वैध प्रतीत होने वाला यह स्टीकर आखिर कैसे और कहां से आया? क्या यह जाली है, या किसी जनप्रतिनिधि की अनुमति से इस्तेमाल हो रहा है?

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यदि इस तरह के स्टिकर बिना अनुमति के लगाए जाते रहे, तो कानून व्यवस्था की गंभीर अनदेखी होगी। यह ना केवल नियमों का उल्लंघन है बल्कि जनप्रतिनिधियों की छवि को भी धूमिल करता है।

अब देखना यह है कि क्या भीलवाड़ा पुलिस इस मामले की जांच कर फर्जीवाड़े का पर्दाफाश करेगी या यह मामला भी बाकी मामलों की तरह दबकर रह जाएगा।

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