

मंसूरी समाज ने भीलवाड़ा की बनेड़ा तहसील में मृत्यु भोज की प्रथा को त्यागकर सामाजिक सुधार की मिसाल कायम की। दफन के बाद पगड़ी दस्तूर कर आर्थिक संसाधनों को शिक्षा और रोजगार के लिए उपयोग करने की पहल शुरू की है।
मंसूरी समाज की पगड़ी दस्तूर
Bhilwara: राजस्थान के भीलवाड़ा जिले की बनेड़ा तहसील के सरदार नगर कस्बे में मंसूरी समाज ने सामाजिक सुधार की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम उठाया है। हाल ही में, 1 जुलाई 2025 को जनाब रुस्तम जी मंसूरी पुत्र मिट्ठू जी मंसूरी (अगवान) के इंतकाल के बाद मंसूरी समाज ने परंपरागत मृत्यु भोज की प्रथा को त्यागकर एक नई मिसाल कायम की। समाज के प्रमुख लोगों और युवाओं के संयुक्त प्रयासों से दफन के तुरंत बाद पगड़ी दस्तूर की रस्म पूरी की गई, जिससे मृत्यु भोज की पुरानी प्रथा को दरकिनार किया गया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, यह पहल कोई नई बात नहीं है। मंसूरी समाज में मृत्यु भोज के खिलाफ जागरूकता पिछले कुछ वर्षों से बढ़ रही है। दो साल पहले, 3 अक्टूबर 2023 को शाहपुरा जिला मुख्यालय पर आयोजित मंसूरी समाज की प्रदेश स्तरीय बैठक में तत्कालीन जिला कलेक्टर टीकमचंद बोहरा की उपस्थिति में समाज के युवाओं ने स्वेच्छा से मृत्यु भोज छोड़ने की घोषणा की थी। इस घोषणा को अमल में लाते हुए कई युवा आज भी अपनी प्रतिज्ञा पर अडिग हैं। इस तरह की पहल न केवल सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि समाज के आर्थिक बोझ को भी कम करती है।
संसाधनों का बेहतर दिशा में निवेश
मंसूरी समाज के इस प्रयास का उद्देश्य न केवल परंपराओं में सुधार करना है, बल्कि समाज के आर्थिक संसाधनों को शिक्षा, रोजगार और उत्थान के लिए उपयोग करना भी है। मृत्यु भोज जैसी प्रथाओं पर रोक लगाकर समाज के लोग अपने संसाधनों को बेहतर दिशा में निवेश कर सकते हैं, जिससे समाज आर्थिक रूप से सशक्त होगा। यह कदम राज्य और केंद्र सरकार के मृत्यु भोज निषेध कानूनों के अनुरूप भी है।
मुबारक मंसूरी उपरेडा ने दी जानकारी
मंसूरी समाज के बुजुर्गों और युवाओं से अपील है कि वे इस पहल को आगे बढ़ाएं और मृत्यु भोज को पूरी तरह समाप्त करने की दिशा में मिलकर काम करें। मुबारक मंसूरी उपरेडा ने इस प्रेरणादायक कदम की जानकारी साझा करते हुए समाज के सभी लोगों से इस सुधार में सहयोग करने का आह्वान किया है। यह पहल न केवल मंसूरी समाज, बल्कि अन्य समुदायों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकती है।
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