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राजस्थान के भीलवाड़ा जनपद में एक ऐसा मामला सामने आया, जिसने कानून और पुलिस को कटघरे में खड़ा कर दिया है। एक हैरान करने वाले मामले में पुलिस पर कई सवालिया निशान भी उठा दिये है और न्याय को लेकर आम आदमी को सोचने को विवश कर दिया है। पढें पूरी रिपोर्ट
कानून के रखवाले जब खुद नियम तोड़ें
भीलवाड़ा: राजस्थान की भीलवाड़ा पुलिस को शर्मसार करने वाला एक बड़ा मामला सामने आया है। यह घटना बताती है कि कानून के रखवाले ही जब खुद नियम तोड़ें, तो इंसाफ को लेकर आम आदमी की सोच कैसे विकसित होगी।
दरअसल हुआ कुछ यूं कि आज शुक्रवार को भीलवाड़ा की पॉक्सो कोर्ट संख्या 1 ने मुजरिम सुरेश कुमार मिश्रा को एक मामले में 5 साल कैद की सजा सुनाई और साथ ही 18 हज़ार रूपए जुर्माने से भी दण्डित किया। लेकिन सजा सुनाये जाने के बाद चालानी गार्ड उसे पुनः जिला एवं सेशन न्यायालय में बनी बैरक में लेकर आ गए लेकिन उसे बैरक में नहीं रखा गया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक बैरक में रखने के बजाए चालानी गार्ड सजायाफ्ता सुरेश कुमार मिश्रा की मेहमान-नवाजी करते नजर आये। कैदी को बैरक के रखने के बजाय, चालानी गार्ड उसे बाहर बैठाकर उसके साथ नमकीन खाते दिखे। उसके साथ बातचीत करते नजर आया। यह घटना कैमरे में कैद हो गई। बड़ी देर तक चालानी गार्ड ने मुजरिम को बाहर बैठाकर रखा था।
सवाल यह है कि यदि इस दौरान मुजरिम भाग जाता तो कौन जिम्मेदार होता और मुजरिम को बाहर बैठाकर पुलिस द्वारा नमकीन खिलाना कहां तक उचित है?
वीडियो फुटेज में साफ देखा जा सकता है कि चालानी गार्ड और मुजरिम कोर्ट के बाहर बैठे नमकीन खा रहे हैं, जैसे कि कोई आम मेहमान बैठा हो।
यह घटना इसलिए और भी गंभीर है क्योंकि अदालत ने मुजरिम को सजा सुनाई है, लेकिन इसके बावजूद पुलिस का व्यवहार ऐसा है मानो मुजरिम कोई सामान्य मेहमान हो।
भीलवाड़ा की इस घटना ने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या कानून के रखवाले खुद नियम तोड़ सकते हैं?
और आखिर में, आम इंसान को न्याय पर भरोसा कैसे होगा जब कानून लागू करने वाली पुलिस ही नियमों की अनदेखी करे?