New Delhi: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में कथित वोट हेरफेर के आरोपों को चुनाव आयोग के एक सूत्र ने बेबुनियाद बताया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राज्य की मतदाता सूची के खिलाफ कोई अपील दायर नहीं की गई थी। सूत्र ने सवाल उठाया कि अगर कई नामों के दोहराव से बचना था, तो संशोधन के दौरान कांग्रेस के बूथ-स्तरीय एजेंटों (बीएलए) ने कोई दावा या आपत्ति क्यों नहीं उठाई।
बीएलए की भूमिका पर उठे सवाल
बूथ-स्तरीय एजेंट (बीएलए) राजनीतिक दलों द्वारा मतदान प्रक्रिया की निगरानी और संभावित अनियमितताओं की पहचान के लिए नियुक्त किए जाते हैं। सूत्र ने कहा कि यदि कांग्रेस को वास्तव में मतदाता सूची में गड़बड़ी का संदेह था, तो उसे बीएलए के माध्यम से चुनाव आयोग के समक्ष समय पर आपत्ति दर्ज करनी चाहिए थी।
राहुल गांधी के आरोपों का सार
राहुल गांधी ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि हरियाणा में पिछले विधानसभा चुनाव भाजपा के पक्ष में धांधली के जरिए कराए गए थे। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग और भाजपा की मिलीभगत से यह घोटाला संभव हुआ। उनके अनुसार हरियाणा में लगभग 25 लाख वोट चोरी किए गए, जिनमें 5.21 लाख डुप्लीकेट वोटर, 93,174 अमान्य वोटर और 19.26 लाख बल्क वोटर शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश और हरियाणा में समान धांधली के आरोप
राहुल गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा से जुड़े हजारों लोग हरियाणा और उत्तर प्रदेश, दोनों जगह मतदान करने में शामिल थे। उनका कहना था कि यह केवल हरियाणा तक सीमित नहीं था, बल्कि चुनाव प्रणाली की पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाता है।
चुनाव आयोग ने आरोपों को कैसे खारिज किया
चुनाव आयोग के सूत्र ने स्पष्ट किया कि राज्य की मतदाता सूची को लेकर कांग्रेस ने किसी भी कानूनी प्रक्रिया का सहारा नहीं लिया। उन्होंने यह भी कहा कि अगर इस तरह की अनियमितताएं होतीं तो राजनीतिक दलों के बीएलए समय रहते दावे या आपत्ति दर्ज कर सकते थे।

