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मोबाइल फोन का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल शरीर और दिमाग दोनों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। गलत पोस्चर में लंबे समय तक मोबाइल देखने से स्पॉन्डिलाइटिस, गर्दन दर्द और आंखों की समस्याएं बढ़ रही हैं। साथ ही, नीली रोशनी और स्क्रीन टाइम मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार सही आदतें अपनाकर इन खतरों से बचा जा सकता है।


आज के डिजिटल दौर में मोबाइल फोन हमारी दिनचर्या का अहम हिस्सा बन चुका है। सुबह आंख खुलते ही और रात को सोने से पहले तक मोबाइल का इस्तेमाल आम हो गया है। (Img Source: Google)



लंबे समय तक मोबाइल देखने से गर्दन, कंधे और कमर पर सीधा असर पड़ता है। गलत पोस्चर में फोन इस्तेमाल करने से रीढ़ की हड्डी पर अतिरिक्त दबाव बनता है। (Img Source: Google)



विशेषज्ञ इसे “टेक नेक” या “स्मार्टफोन सिंड्रोम” कहते हैं। इससे मांसपेशियों में खिंचाव और जोड़ों में दर्द की समस्या बढ़ सकती है। (Img Source: Google)



मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल स्पॉन्डिलाइटिस का खतरा भी बढ़ाता है। खासतौर पर युवाओं में यह समस्या तेजी से देखने को मिल रही है। (Img Source: Google)



आंखों पर भी मोबाइल की नीली रोशनी बुरा असर डालती है। इससे आंखों में जलन, सूखापन, धुंधलापन और सिरदर्द जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। (Img Source: Google)



लगातार मोबाइल इस्तेमाल करने से मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। नींद की कमी, तनाव और बेचैनी जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। (Img Source: Google)



एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि मोबाइल सीमित समय के लिए इस्तेमाल करें। सही पोस्चर, ब्रेक और स्क्रीन फिल्टर अपनाकर इन समस्याओं से बचा जा सकता है। (Img Source: Google)

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