नीली हल्दी उस वक्त सुर्खियों में आई जब प्रियंका गांधी ने संसद में इसके रोज़ाना सेवन की बात कही। यह सामान्य हल्दी से अलग और ज्यादा गुणकारी मानी जाती है। एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर नीली हल्दी इम्युनिटी बढ़ाने, सूजन कम करने और गले-फेफड़ों को मजबूत बनाने में सहायक हो सकती है।
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने नीली हल्दी का उल्लेख किया। उन्होंने प्रधानमंत्री से बातचीत में बताया कि वह इसका नियमित सेवन करती हैं, जिसके बाद यह सुपरफूड चर्चा में आ गया। (Img: Google)
प्रियंका गांधी के अनुसार, नीली हल्दी प्रदूषण से बचाव, गले की खराश और एलर्जी में राहत देती है। वह इसे रोज़ अपनी दिनचर्या में शामिल करती हैं। (Img: Google)
नीली हल्दी को काली हल्दी या Curcuma caesia भी कहा जाता है। यह बाहर से भूरी और अंदर से नीली-बैंगनी होती है तथा सामान्य हल्दी से अधिक शक्तिशाली मानी जाती है। (Img: Google)
यह वायनाड, उत्तर-पूर्वी भारत और मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों में उगती है। दुर्लभ होने के कारण यह महंगी भी होती है। (Img: Google)
नीली हल्दी में एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। यह इम्युनिटी बढ़ाने और सूजन कम करने में सहायक मानी जाती है। (Img: Google)
इसे दूध, पानी या चाय में लिया जा सकता है। हालांकि, किसी बीमारी में इसे दवा का विकल्प न मानें और डॉक्टर की सलाह जरूरी है। (Img: Google)
