

राजद नेता तेज प्रताप यादव ने अचानक सोशल मीडिया से परिवार को अनफॉलो कर डिजिटल दूरी बना ली। मीसा, राजलक्ष्मी समेत 16 परिजनों को हटाया। ड्रीम में मोदी से बातचीत का दावा और विजय सिन्हा से मुलाकात ने अटकलें तेज कर दी हैं—क्या तेज प्रताप कोई बड़ा कदम उठाने वाले हैं?
तेज प्रताप यादव (सोर्स इंटरनेट)
Patna: बिहार की राजनीति एक बार फिर तेज प्रताप यादव की गतिविधियों के चलते गरमा गई है। इस बार उन्होंने किसी मंच या प्रेस वार्ता से नहीं, बल्कि डिजिटल प्लेटफॉर्म से बगावत का बिगुल फूंका है। तेज प्रताप यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) से अपने परिवार के 19 में से 16 सदस्यों को अनफॉलो कर दिया है।
सूत्रों के अनुसार, इस लिस्ट में सबसे बड़ा नाम उनकी बड़ी बहन और राज्यसभा सांसद मीसा भारती, बहन राजलक्ष्मी यादव और हेमा यादव जैसे करीबी रिश्तेदार शामिल हैं। इससे न केवल पार्टी के भीतर बल्कि पूरे राज्य में सियासी हलचल तेज हो गई है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम सिर्फ डिजिटल नाराज़गी नहीं, बल्कि राजद परिवार के भीतर गहराते मतभेदों का संकेत है। तेज प्रताप लंबे समय से पार्टी में अपनी भूमिका और उपेक्षा को लेकर असंतुष्ट रहे हैं। ऐसे में उनका यह डिजिटल विद्रोह संभवतः नेतृत्व को चेतावनी देने वाला कदम है।
तेज प्रताप की इस "डिजिटल नाराज़गी" के बीच एक और पोस्ट ने माहौल को और गरमा दिया। बुधवार को उन्होंने X पर एक काल्पनिक सपना शेयर किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें बीजेपी में शामिल होने का प्रस्ताव दे रहे थे। सपने में तेज प्रताप जवाब देते हैं “मेरे पास अपनी पार्टी है, आप ही हमारी पार्टी से जुड़ जाइए।” इस पोस्ट के साथ उन्होंने लिखा “सत्ता के लिए सपने बेचने वाले बहुत हैं, हम वो हैं जो सपने में भी विचार नहीं बेचते।”
इस पोस्ट को उन्होंने तब किया जब कुछ ही घंटे पहले उनकी बिहार विधानसभा परिसर में डिप्टी सीएम विजय सिन्हा से मुलाकात हुई थी। ऐसे में उनके बयान को राजनीतिक संकेतों के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि, तेज प्रताप ने इस पूरे घटनाक्रम पर कोई प्रत्यक्ष बयान नहीं दिया है, लेकिन उनके हालिया पोस्ट, सार्वजनिक गतिविधियां और परिवार से सोशल मीडिया दूरी कई सवाल खड़े कर रहे हैं।
पार्टी के सूत्रों की मानें तो लालू परिवार में तेजस्वी और तेज प्रताप के बीच संवाद की दूरी लगातार बढ़ती जा रही है। इससे पहले भी तेज प्रताप कई बार पार्टी से जुड़े मुद्दों पर अपनी अलग राय जाहिर करते रहे हैं। लेकिन इस बार उनका रवैया कुछ ज्यादा ही आक्रामक और निर्णायक दिख रहा है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि तेज प्रताप इस डिजिटल रुख को क्या वाकई राजनीतिक मोड़ में बदलते हैं, या फिर यह भी एक और ध्यानाकर्षण रणनीति है।