

छांगुर बाबा पर अवैध धर्मांतरण रैकेट का आरोप लगाकर ईडी ने पांच दिन कस्टडी में रखा। खुद को निर्दोष बताते हुए उन्होंने बड़ी साजिश का खुलासा किया। क्या सच छुपा है इस आरोपों के पीछे? पढ़िए छांगुर बाबा की कहानी की असली परतें।
छांगुर बाबा (सोर्स इंटरनेट)
Lucknow: उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण के आरोपों से घिरे जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा की गिरफ्तारी और ईडी की जांच चर्चा का विषय बनी हुई है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें पांच दिन की पुलिस कस्टडी रिमांड के बाद सोमवार को लखनऊ जेल में दाखिल कर दिया। इस मामले में छांगुर बाबा पहले से ही उत्तर प्रदेश पुलिस की एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) की नजरों में हैं।
ईडी की टीम ने इस दौरान उनसे मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत कड़ी पूछताछ की। हालांकि छांगुर बाबा ने कोर्ट में पेशी के दौरान खुद को पूरी तरह से बेगुनाह बताया और आरोपों को झूठा करार दिया।
अपने बयान में छांगुर बाबा ने तीन प्रमुख लोगों के नाम लिए—वसीउद्दीन उर्फ बब्बू, मोहम्मद अहमद और संतोष सिंह। उन्होंने कहा कि ये तीनों उनसे 60 लाख रुपये की मांग कर रहे थे। जब पैसे नहीं दिए गए तो उन्हें फंसाने की साजिश रची गई। छांगुर बाबा का दावा है कि वह किसी का भी धर्म परिवर्तन नहीं करवा चुके और यह पूरा मामला उनके खिलाफ साजिश के तहत तैयार किया गया है।
"मैंने कभी किसी का धर्म परिवर्तन नहीं कराया। सारे आरोप झूठे हैं। मैंने पैसे नहीं दिए, इसलिए गवाहों से फर्जी बयान करवा कर मुझे फंसाया गया है," उन्होंने अदालत में कहा।
यह मामला 28 जुलाई को ईडी की कस्टडी में भेजे जाने के साथ शुरू हुआ, जो 1 अगस्त को खत्म हुई। इस दौरान छांगुर बाबा जेल में ही पूछताछ और बयान दर्ज कराने के लिए बाध्य रहे।
यह मामला न केवल धार्मिक संवेदनशीलता के कारण चर्चा में रहा, बल्कि इसने कानून व्यवस्था और सत्ता के दखल की भी कई नई परतें खोली हैं। छांगुर बाबा के आरोपों से यह सवाल उठता है कि क्या यह मामला किसी राजनीतिक या व्यक्तिगत वाद-विवाद का हिस्सा है?
ईडी और यूपी पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में छांगुर बाबा को अब लखनऊ जेल में बंद किया गया है। जांच टीम इस बात की पुष्टि करने में लगी है कि कहीं इस पूरे सिंडिकेट के पीछे कोई बड़ा जाल तो नहीं है।
यह कहानी अभी भी कई अनसुलझे सवाल लेकर है। क्या छांगुर बाबा सचमुच अपराधी हैं या वे किसी बड़ी साजिश के शिकार? क्या वाकई में अवैध धर्मांतरण का रैकेट चल रहा था या यह आरोप केवल राजनीतिक दबाव का हिस्सा है?
फिलहाल, मामले की जांच जारी है और आने वाले दिनों में और खुलासे होने की संभावना है। छांगुर बाबा की अदालत में पेशी, उनके दावे और ईडी की छानबीन इस केस को और पेचीदा बना रही है।