

राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान से दूर रहने वाले दलों पर शिवसेना (उद्धव) ने कड़ा हमला बोला है। पार्टी ने मतदान को अनिवार्य बनाने और अनुपस्थित रहने वाले दलों की मान्यता रद्द करने की मांग की है।
उद्धव ठाकरे, शिवसेना यूबीटी प्रमुख
Mumbai: शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों में राजनीतिक दलों की अनुपस्थिति पर कड़ा रुख अपनाते हुए मतदान को अनिवार्य करने की मांग की है। पार्टी ने 'सामना' के संपादकीय में बीआरएस (BRS) और बीजद (BJD) जैसे दलों पर 'घोड़ाबाजार' में शामिल होने और केंद्रीय एजेंसियों के दबाव में आकर लोकतांत्रिक प्रक्रिया से दूरी बनाने का गंभीर आरोप लगाया है।
शिवसेना (उद्धव) ने स्पष्ट कहा है कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पदों के चुनाव में किसी भी दल की अनुपस्थिति को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। पार्टी का कहना है कि जो दल बार-बार मतदान से दूर रहते हैं, उनकी राजनीतिक मान्यता रद्द कर दी जानी चाहिए।
'सामना' के अनुसार, 'बीआरएस और बीजद जैसे दल CBI, ED जैसी केंद्रीय एजेंसियों से डरकर मतदान से दूर रहे। यह न केवल अलोकतांत्रिक है, बल्कि संविधान की मूल भावना के भी खिलाफ है।'
पार्टी ने हाल ही में चुने गए उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन से अपील की है कि वे संसद में एक सख्त कानून लाएं, जिससे इन चुनावों में पारदर्शिता आए और ‘पैसे और दबाव’ के खेल पर अंकुश लगाया जा सके। शिवसेना (उद्धव) ने कहा कि उपराष्ट्रपति जैसे उच्च पद के चुनावों में मतदान न करना या क्रॉस-वोटिंग करना एक राजनीतिक विश्वासघात के समान है।
उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन
9 सितंबर को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने विपक्ष के बी. सुधर्शन रेड्डी को हराकर जीत दर्ज की। राधाकृष्णन को 452 वोट जबकि रेड्डी को 300 वोट मिले। हालांकि, 15 मत अमान्य घोषित किए गए।
बीआरएस और बीजेडी जैसे दलों ने चुनाव में हिस्सा नहीं लिया, जबकि उनके पास राज्यसभा में क्रमशः 4 और 7 सांसद हैं। वहीं अकाली दल ने पंजाब में आई बाढ़ के मद्देनजर चुनाव का बहिष्कार किया और किसी भी पक्ष को समर्थन नहीं दिया।
Sanjay Raut: शिवसेना UBT नेता संजय राउत को 15 दिन की जेल, जानिये पूरा मामला
शिवसेना (उद्धव) ने अपने संपादकीय में आरोप लगाया कि विपक्षी INDIA गठबंधन के 2-5 सांसदों ने कथित रूप से क्रॉस-वोटिंग की और उन्हें इसके बदले विदेश यात्राओं का लालच दिया गया। पार्टी ने यह भी पूछा कि जब भाजपा के सहयोगी दल भी 'घोड़ाबाजार' की शिकायत करते हैं, तब चुनाव आयोग और अन्य संस्थाएं मूकदर्शक क्यों बनी रहती हैं?
पार्टी ने साफ किया कि वह संवैधानिक पदों के चुनावों में पूरी पारदर्शिता, जवाबदेही और मजबूती की पक्षधर है और लोकतंत्र को कमजोर करने वाले किसी भी तत्व के खिलाफ सख्त कानून बनाए जाने चाहिए।
No related posts found.