

उनवल के नन्हे पहलवान आदित्य गुप्ता ने अमेरिका में आयोजित अंडर-17 चैंपियनशिप में 55 किलोग्राम ग्रीको-रोमन कुश्ती में अपने दमखम से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। स्व. गुरु ज्ञान सिंह अखाड़ा, चतुर बंदुआरी में पसीना बहाकर तैयार हुए इस होनहार खिलाड़ी ने भले ही मेडल से चूक गए, लेकिन अपने शानदार प्रदर्शन से दुनिया भर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
आदित्य गुप्ता ने अमेरिका में दिखाया कुश्ती का दमखम
Gorakhpur,(Khajni): उनवल के नन्हे पहलवान आदित्य गुप्ता ने अमेरिका में आयोजित अंडर-17 चैंपियनशिप में 55 किलोग्राम ग्रीको-रोमन कुश्ती में अपने दमखम से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। स्व. गुरु ज्ञान सिंह अखाड़ा, चतुर बंदुआरी में पसीना बहाकर तैयार हुए इस होनहार खिलाड़ी ने भले ही मेडल से चूक गए, लेकिन अपने शानदार प्रदर्शन से दुनिया भर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
आदित्य, एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जिनके पिता सुरेश गुप्ता ने मेहनत और लगन से बेटे के सपनों को पंख दिए। गांव की माटी में कुश्ती के दांव-पेंच सीखने वाले इस युवा पहलवान ने कोच एनआईएस श्यामपाल की देखरेख में अपनी कला को निखारा। वर्तमान में आर्मी हॉस्टल में चयनित आदित्य ने अपने प्रदर्शन से न केवल गांव बल्कि जिला, प्रदेश और देश का नाम भी रोशन किया है।
आदित्य की इस उपलब्धि पर क्षेत्र में उत्साह का माहौल है। स्थानीय पहलवानों चंद्रपाल, अभिषेक राजभर, इंद्रजीत, मुलायम, विनय, विराट, गोलू, गोल्डन और ज्वाला पहलवान ने उन्हें बधाई देते हुए उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
स्व. गुरु ज्ञान सिंह अपने जमाने के नामी पहलवान थे, जिन्होंने जिला, प्रदेश और देश स्तर पर कुश्ती में खजनी का नाम ऊंचा किया। उनके अखाड़े से निकले शिष्यों ने रेलवे, पुलिस, पीएसी और अर्धसैनिक बलों में अपनी कुश्ती कला के दम पर जगह बनाई। गुरु जी के भाई दिनेश सिंह ने भी उत्तर पूर्व रेलवे में कुश्ती के क्षेत्र में प्रतिनिधित्व कर क्षेत्र का मान बढ़ाया।
आदित्य का यह सफर हर उस युवा के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों में भी बड़े सपने देखता है। गांव की मिट्टी से शुरू हुआ उनका यह सफर अब अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंच चुका है। आदित्य ने कहा, "मैं अपने गुरुओं और परिवार का आभार व्यक्त करता हूं। यह मेरे लिए शुरुआत है, और मैं भविष्य में देश के लिए मेडल जरूर लाऊंगा।"
आदित्य की इस उपलब्धि पर गर्व करते हुए क्षेत्रवासी सरकार से मांग कर रहे हैं कि ऐसे होनहार खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं और प्रोत्साहन मिले, ताकि वे देश का नाम और ऊंचा कर सकें। भटवली बाजार का यह शेर भविष्य में और बड़े कारनामे करने को तैयार है। आदित्य को उनकी इस उपलब्धि के लिए ढेरों शुभकामनाएं!
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