

SSC चेयरमैन एस. गोपालकृष्णन ने माना कि परीक्षार्थियों को खराब सिस्टम, दूर के सेंटर और आधार वेरिफिकेशन में दिक्कतें झेलनी पड़ीं। उन्होंने कहा कि अब नई एजेंसियों की नियुक्ति, नज़दीकी परीक्षा केंद्र, शिफ्ट-वार नॉर्मलाइजेशन और उन्नत तकनीकी सुविधाओं से परीक्षाएं ज्यादा सुरक्षित और सुगम होंगी।
SSC चेयरमैन एस. गोपालकृष्णन (Img: Google)
New Delhi: स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (SSC) के चेयरमैन एस. गोपालकृष्णन ने स्वीकार किया है कि परीक्षार्थियों को हालिया परीक्षाओं के दौरान गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ा। इनमें सिस्टम फेल होना, आधार वेरिफिकेशन में देरी और दूर-दराज परीक्षा केंद्र आवंटन जैसी दिक्कतें शामिल थीं। उन्होंने कहा कि ये चिंताएँ पूरी तरह जायज़ हैं और आयोग ने इन्हें दूर करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं।
गोपालकृष्णन ने बताया कि जुलाई 2025 से नया नॉर्मलाइजेशन सिस्टम लागू किया गया है। अब परीक्षाओं का मूल्यांकन शिफ्ट-वार आधार पर होगा, ताकि हर शिफ्ट की कठिनाई स्तर के अनुसार स्कोर को संतुलित किया जा सके। इसके साथ ही SSC CGL की टियर-2 परीक्षा एक ही शिफ्ट में आयोजित होगी और इसके लिए एडवांस तकनीकी सपोर्ट का इस्तेमाल होगा।
परीक्षार्थियों की शिकायत (Img: Google)
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पहले एक ही एजेंसी परीक्षा संचालन और प्रश्नपत्र निर्माण दोनों का जिम्मा संभालती थी, जिससे तकनीकी खामियां बढ़ रही थीं। अब काम को चार अलग-अलग एजेंसियों में बांटा गया है—
अध्यक्ष ने कहा कि आधार प्रमाणीकरण बेहद ज़रूरी है, ताकि प्रतिरूपण (impersonation) रोका जा सके और प्रश्नपत्र की गोपनीयता बनी रहे। उन्होंने माना कि शुरुआती दौर में OTP वेरिफिकेशन की समस्या आई थी, लेकिन अब सिस्टम स्थिर हो चुका है और यह प्रक्रिया भविष्य में किसी भी तरह की गड़बड़ी रोकने में मदद करेगी।
SSC CGL Exam 2025: तकनीकी गड़बड़ियों के कारण स्थगित हुई परीक्षा, जानिये नई तारीख
परीक्षार्थियों की शिकायत रही है कि कई बार उन्हें सैकड़ों किलोमीटर दूर के केंद्र पर भेज दिया जाता है। इस पर गोपालकृष्णन ने कहा कि अब नई व्यवस्था में यह समस्या खत्म होगी। वर्तमान में करीब 80% उम्मीदवारों को पसंदीदा केंद्र मिलते हैं, लेकिन आने वाले समय में यह संख्या 90% से अधिक हो जाएगी। साथ ही, कोई भी परीक्षार्थी 100 किलोमीटर से ज्यादा दूर नहीं जाएगा।
कुछ उम्मीदवारों की मांग रही है कि परीक्षाएं फिर से पारंपरिक पेन-पेपर मोड में कराई जाएं। इस पर चेयरमैन ने साफ कहा कि कंप्यूटर आधारित परीक्षा ही सुरक्षित और बेहतर विकल्प है। लाखों परीक्षार्थियों के बीच पेन-पेपर मोड अपनाने से न केवल परिणाम में देरी होगी बल्कि पेपर लीक की संभावना भी बढ़ जाएगी।
गोपालकृष्णन ने बताया कि हर साल करीब दो करोड़ अभ्यर्थी SSC परीक्षाओं में बैठते हैं, जिनमें से 60 लाख तक उम्मीदवार बड़ी परीक्षाओं का हिस्सा होते हैं। औसतन 15–16 मुख्य परीक्षाएं सालाना आयोजित की जाती हैं, जिनसे करीब 1.5 लाख नियुक्तियां होती हैं।