

सावन में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। इस दौरान भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए व्रत और रुद्राभिषेक करते हैं। लेकिन पूजा से पहले यह जानना जरूरी है कि महादेव को क्या प्रिय है और किन चीजों का परहेज करना चाहिए।
सावन में शिव की पूजा
New Delhi: सावन का महीना हिंदू धर्म में सबसे पवित्र और शुभ माना जाता है, विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा के लिए। इस वर्ष सावन की शुरुआत 11 जुलाई से हो रही है और इस पूरे महीने शिव भक्त व्रत, पूजा, रुद्राभिषेक और जप के माध्यम से भोलेनाथ को प्रसन्न करने का प्रयास करेंगे। महादेव को "आशुतोष" कहा जाता है, यानी जो थोड़े प्रयास से ही प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन उनकी पूजा में कुछ नियमों और परंपराओं का पालन करना बेहद आवश्यक है।
शिव जी को प्रिय वस्तुएं
जल: समुद्र मंथन के समय भगवान शिव ने जब विष पिया था, तब उनकी जलन को शांत करने के लिए जल सबसे उपयोगी सिद्ध हुआ था। इसी कारण शिवलिंग पर जल अर्पण करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
बेलपत्र: बेलपत्र की तीन पत्तियां भगवान शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक मानी जाती हैं। मान्यता है कि शिवलिंग पर एक बेलपत्र चढ़ाने से करोड़ों कन्याओं के कन्यादान जितना पुण्य मिलता है।
धतूरा: धतूरा अर्पण करने से मन की नकारात्मकता दूर होती है। यह फल शिव को अर्पित किए गए हजारों नीलकमल के समान माना गया है।
शमी और आक का फूल: शास्त्रों में कहा गया है कि आक का फूल चढ़ाने से सोने का दान करने जैसा फल प्राप्त होता है, और शमी का फूल 1000 धतूरों के पुण्य के समान होता है।
चंदन: चंदन शिव को शीतलता प्रदान करता है। शिवलिंग पर चंदन लगाने से समाज में यश, मान और प्रतिष्ठा बढ़ती है।
इसके अतिरिक्त दूध, भांग, भस्म, कपूर, चावल, रुद्राक्ष, ठंडाई, मालपुआ और हलवा भी भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं।
किन चीजों से करें परहेज़?
श्रृंगार की वस्तुएं: भगवान शिव वैरागी हैं, उन्हें श्रृंगार पसंद नहीं। इसलिए हल्दी, मेहंदी, रोली जैसे सौंदर्य प्रसाधन अर्पित नहीं करने चाहिए।
शंख से जल अर्पण: शिवपुराण के अनुसार शंखचूड़ असुर का वध करने के कारण भोलेनाथ को शंख से जल चढ़ाना वर्जित है।
तुलसी: तुलसी का शिव पूजन में वर्जन है, क्योंकि शिव जी ने तुलसी के पति जलंधर का वध किया था और तुलसी ने उन्हें श्राप दिया था।
नारियल पानी: नारियल लक्ष्मी जी का प्रतीक है, और शिव पूजन में नारियल पानी से अभिषेक करना अनुचित माना गया है।
केतकी का फूल: शिवपुराण के अनुसार झूठ बोलने के कारण शिव जी ने केतकी के फूल को शाप दिया, इसलिए इसे शिवलिंग पर चढ़ाना वर्जित है।