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संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर, सोमवार से शुरू हो रहा है और 19 दिसंबर तक चलेगा। इस सत्र में सरकार अपने सुधार एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए परमाणु ऊर्जा, उच्च शिक्षा ढांचा, कॉर्पोरेट कानून, राष्ट्रीय राजमार्ग संशोधन और शेयर बाजार विनियम समेत कुल 10 महत्वपूर्ण विधेयक पेश करेगी।
SIR समेत इन मुद्दों पर हंगामे के आसार
New Delhi: संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर, सोमवार से शुरू हो रहा है और 19 दिसंबर तक चलेगा। इस सत्र में सरकार अपने सुधार एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए परमाणु ऊर्जा, उच्च शिक्षा ढांचा, कॉर्पोरेट कानून, राष्ट्रीय राजमार्ग संशोधन और शेयर बाजार विनियम समेत कुल 10 महत्वपूर्ण विधेयक पेश करेगी। वहीं, विपक्ष एसआईआर (Special Investment Region) और अन्य संवेदनशील मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी कर रहा है।
सत्र में सरकार का प्रमुख उद्देश्य असैन्य परमाणु क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलने का विधेयक पेश करना है। इसके अलावा सरकार उच्च शिक्षा क्षेत्र में सुधार, कॉर्पोरेट कानून में संशोधन, मध्यस्थता कानून में बदलाव और प्रतिभूति बाजार संहिता-2025 जैसे अहम विधेयक भी सदन में प्रस्तुत करेगी। सत्र के दौरान कुल 10 नए विधेयक पेश किए जाएंगे। इन विधेयकों के माध्यम से सरकार विकास और आर्थिक सुधार के एजेंडे को गति देना चाहती है।
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विपक्ष इस सत्र में सरकार को घेरने के लिए तैयार है। इसके तहत राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण, 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में SIR प्रोजेक्ट और वोट चोरी के मुद्दे प्रमुख होंगे।
सर्वदलीय बैठक से पहले कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि विपक्ष निर्वाचन आयोग के साथ कथित मिलीभगत से सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा वोट चोरी के मामले को सदन में उठाएगा। उन्होंने इसे सिर्फ वोट चोरी नहीं बल्कि “वोट डकैती” बताया और इसे सत्र का अहम मुद्दा करार दिया।
सत्र शुरू होने से एक दिन पहले रविवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में दोनों सदनों के विधायी कार्यों और अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई। सरकार की ओर से प्रमुख नेता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राज्यसभा में नेता एवं स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा. संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू और संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल शामिल हुए।
विपक्ष की ओर से शामिल नेता:
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शीतकालीन सत्र में कुल 15 बैठकें होंगी और यह 19 दिसंबर को समाप्त होगा। इस सत्र में सरकार अपने सुधार और विकास एजेंडे पर ध्यान केंद्रित करेगी, जबकि विपक्ष सत्तारूढ़ पार्टी की नीतियों और निर्वाचन प्रक्रियाओं पर सवाल उठाकर जोरदार राजनीतिक बहस करने की योजना बना रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह सत्र कानून और नीति निर्माण के दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण रहेगा, क्योंकि कई बड़े सुधारक बिल सदन में पेश किए जा रहे हैं।