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भारत का भविष्य: अंतरिक्ष मिशन के लिए तैयार हो रही नई पीढ़ी! पीएम मोदी ने जताई 40-50 Astronauts की आवश्यकता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला से मुलाकात की, जिन्होंने हाल ही में नासा के एक्सिओम-4 अंतरिक्ष मिशन में भाग लिया था। इस मुलाकात में पीएम मोदी ने भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की संख्या को बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत को भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए कम से कम 40 से 50 अंतरिक्ष यात्रियों की एक बड़ी टीम तैयार करनी चाहिए।
Post Published By: Asmita Patel
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भारत का भविष्य: अंतरिक्ष मिशन के लिए तैयार हो रही नई पीढ़ी! पीएम मोदी ने जताई 40-50 Astronauts की आवश्यकता

New Delhi: प्रधानमंत्री मोदी ने ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला से मुलाकात के दौरान कहा कि भारत के भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों को सफल बनाने के लिए एक मजबूत और व्यापक अंतरिक्ष यात्री समूह की आवश्यकता है। उन्होंने भारत के अंतरिक्ष मिशनों के महत्व को ध्यान में रखते हुए शुक्ला से कहा कि देश को कम से कम 40 से 50 अंतरिक्ष यात्रियों की एक बड़ी संख्या तैयार करनी चाहिए, जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में अहम भूमिका निभा सकें।

प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान भारत के बढ़ते अंतरिक्ष कार्यक्रम और भविष्य में गगनयान जैसे मिशनों को लेकर की जा रही तैयारियों के संदर्भ में बहुत महत्वपूर्ण है। उनका यह बयान इस बात का संकेत है कि भारत अब अंतरिक्ष में अधिक से अधिक लोगों को शामिल करने और अंतरिक्ष यात्रा के क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए तैयार है।

शुभांशु शुक्ला ने साझा किया एक्सिओम-4 मिशन का अनुभव

एक्सिओम-4 मिशन में भाग लेने के बाद भारत लौटे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी अंतरिक्ष यात्रा के अनुभवों को साझा किया। शुक्ला ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण स्थितियों में कैसे समायोजन किया जाता है और वहां किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों के बारे में भी प्रधानमंत्री को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष में रहते हुए उनके शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, जैसे हृदय गति का धीमा होना और शरीर के अन्य अंगों पर भी प्रभाव पड़ना। इस अनुभव को साझा करते हुए शुक्ला ने बताया कि पृथ्वी पर लौटने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को कुछ समय तक असामान्य महसूस होता है, और यह शरीर को नए वातावरण के अनुसार अनुकूलित करने का समय होता है।

गगनयान मिशन पर वैज्ञानिकों का उत्साह

प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी मुलाकात के दौरान, शुक्ला ने भारत के गगनयान मिशन के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि इस मिशन को लेकर न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में वैज्ञानिकों में काफी रुचि है। शुक्ला ने यह भी बताया कि कई अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने इस मिशन में भाग लेने के लिए अपनी रुचि जताई है और वे इसके हिस्सा बनने के लिए उत्सुक हैं। गगनयान मिशन के संदर्भ में, शुक्ला ने बताया कि यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक कदम है, क्योंकि इसके जरिए भारत अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय जोड़ने जा रहा है। भारत का गगनयान मिशन अंतरिक्ष के क्षेत्र में देश की ताकत को और भी मजबूती देने में सहायक होगा।

भारत के लिए बढ़ती अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाएं

प्रधानमंत्री मोदी और शुभांशु शुक्ला के बीच यह बातचीत भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की भविष्यवाणी के बारे में भी बहुत महत्वपूर्ण थी। प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्ला से पूछा कि अंतरिक्ष यात्रा के दौरान उनका अनुभव कैसा रहा और उन्होंने भारत के आगामी अंतरिक्ष अभियानों के लिए क्या सिफारिशें दी हैं। शुक्ला ने कहा कि भारत के अंतरिक्ष मिशन का वैश्विक प्रभाव दिन-ब-दिन बढ़ रहा है और इस दिशा में भारत का नेतृत्व महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने प्रधानमंत्री से यह भी कहा कि भारत को आने वाले वर्षों में अंतरिक्ष के क्षेत्र में और भी अधिक नेतृत्व की भूमिका निभाने की आवश्यकता है।

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