International News: अमेरिका का नया रेमिटेंस कर प्रस्ताव, नई नीति से भारतीय अर्थव्यवस्था पर संकट के बादल

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई नीतियों का असर अब भारत पर भी पड़ सकता है। डाइनामइट न्यूज़ की रिपोर्ट में पढ़िए क्या है पूरा मामला

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 18 May 2025, 2:37 PM IST
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अंतरराष्ट्रीय: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई नीतियों का असर अब भारत पर भी पड़ सकता है। अमेरिका ने एक नए प्रस्ताव के तहत गैर-अमेरिकी नागरिकों द्वारा विदेश भेजे जाने वाले पैसों (रेमिटेंस) पर 5 प्रतिशत टैक्स लगाने का सुझाव दिया है। अगर यह प्रस्ताव कानून का रूप लेता है, तो इसका सीधा असर Indian Economy और भारतीय परिवारों पर पड़ेगा।

क्या है ‘द वन बिग ब्यूटीफुल बिल’?

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, यह प्रस्ताव 'द वन बिग ब्यूटीफुल बिल' नामक एक विधेयक का हिस्सा है, जिसे 12 मई 2025 को अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में पेश किया गया। इस टैक्स का प्रभाव ग्रीन कार्ड धारक, H-1B और H-2A वीजा पर काम करने वाले अस्थायी कर्मचारियों पर पड़ेगा, जो विदेश में पैसा भेजते हैं। अमेरिकी नागरिकों को इस टैक्स से छूट दी गई है।

विदेशी मुद्रा पर गहरा असर

आर्थिक थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रस्ताव के लागू होने से भारत को हर साल अरबों डॉलर की विदेशी मुद्रा का नुकसान हो सकता है। 2023-24 में भारत को 120 अरब डॉलर का रेमिटेंस प्राप्त हुआ था, जिसमें से 28 प्रतिशत केवल अमेरिका से आया था। GTRI के संस्थापक अजय श्रीवास्तव का कहना है कि 5 प्रतिशत टैक्स से पैसा भेजने की लागत बढ़ जाएगी। अगर रेमिटेंस में 10-15 प्रतिशत की कमी आती है, तो भारत को हर साल 12-18 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है।

रुपये पर भी पड़ेगा प्रभाव

अजय श्रीवास्तव ने चेतावनी दी कि इस नुकसान से भारतीय विदेशी मुद्रा बाजार में US Dollar की आपूर्ति कम हो सकती है, जिससे रुपये पर दबाव बढ़ेगा। यदि यह नुकसान पूरी तरह से होता है, तो भारतीय रिजर्व बैंक को रुपये को स्थिर करने के लिए बार-बार हस्तक्षेप करना पड़ सकता है, जिससे रुपये की कीमत 1-1.5 रुपये प्रति डॉलर तक गिर सकती है।

केरल, उत्तर प्रदेश और बिहार पर सीधा प्रभाव

भारत के केरल, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में लाखों परिवार रेमिटेंस पर निर्भर हैं। ये परिवार शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास जैसे खर्चों के लिए इस पैसे का उपयोग करते हैं। अगर रेमिटेंस में कमी आती है, तो इन परिवारों की आर्थिक स्थिति प्रभावित होगी। इसका असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा, जो पहले से ही महंगाई और वैश्विक अनिश्चितता का सामना कर रही है।

वैश्विक प्रभाव और भविष्य की संभावनाएँ

यह प्रस्ताव न केवल भारत बल्कि अन्य विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था पर भी असर डाल सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह बिल पास होता है, तो जुलाई 2025 तक इसे कानून का रूप दिया जा सकता है। भारतीय प्रवासियों को सलाह दी जा रही है कि वे इस टैक्स से बचने के लिए जल्द से जल्द रेमिटेंस कर लें।""

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