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महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर गरमाई हुई है। इस बार वजह हैं राज्य के मंत्री माणिकराव कोकाटे, जिनका नाम विधान परिषद की कार्यवाही के दौरान मोबाइल पर रमी खेलने के वीडियो में सामने आया। वायरल वीडियो के बाद सरकार ने उन्हें कृषि मंत्रालय से हटाकर खेल और युवा कल्याण विभाग में भेज दिया। लेकिन विपक्ष इस कदम को ‘काफी नहीं’ मान रहा है।
फडणवीस सरकार पर संजय राउत का बड़ा हमला (सोर्स इंटरनेट)
Mumbai: महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर गरमाई हुई है। इस बार वजह हैं राज्य के मंत्री माणिकराव कोकाटे, जिनका नाम विधान परिषद की कार्यवाही के दौरान मोबाइल पर रमी खेलने के वीडियो में सामने आया। वायरल वीडियो के बाद सरकार ने उन्हें कृषि मंत्रालय से हटाकर खेल और युवा कल्याण विभाग में भेज दिया। लेकिन विपक्ष इस कदम को 'काफी नहीं' मान रहा है।
सूत्रों के अनुसार, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सरकार पर सीधा हमला करते हुए कहा, "मंत्रालय बदलने से सरकार की छवि नहीं सुधरती। जिन पर गंभीर आरोप हैं, उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर किया जाना चाहिए, न कि उन्हें विभाग बदलकर बचाने की कोशिश की जाए।"
राउत ने इसे "साख बचाने की दिखावटी कोशिश" बताया और कहा कि यह अस्थायी समाधान है, स्थायी नहीं। उनका कहना है कि यह सरकार जनता की नाराजगी से बचने के लिए केवल प्रबंधन का नाटक कर रही है। उन्होंने यह भी दावा किया कि जल्द ही मंत्रिमंडल फेरबदल होने वाला है, जिसमें ऐसे और भी मंत्रियों की कुर्सी डोल सकती है।
राउत यहीं नहीं रुके। उन्होंने पूर्व मंत्री धनंजय मुंडे का मामला उठाया और आरोप लगाया कि बीड जिले में सरपंच की हत्या मामले में गिरफ्तार मुंडे के सहयोगी के चलते इस्तीफा देने के बावजूद सरकार ने उन्हें बचाने की कोशिश की।
उनका कहना था कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस गठबंधन की मजबूरियों के चलते ऐसे मामलों में ठोस कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं। लेकिन जनता की नजरें अब सब देख रही हैं, और यह असंतोष जल्द ही सामने आ सकता है।
शिवसेना (यूबीटी) के एमएलसी अनिल परब ने भी कोकाटे के विभागीय बदलाव को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा, "यह महज लीपापोती है। विभाग बदलने से मुद्दा खत्म नहीं होता। दागियों को मंत्रिमंडल से बाहर किया जाना चाहिए।"
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि विपक्ष इस मुद्दे को आगामी विधानसभा सत्र में पूरी ताकत से उठाएगा। यूबीटी खेमा पूरी तरह आक्रामक है और इसे ‘नीति बनाम भ्रष्टाचार’ की लड़ाई के रूप में पेश कर रहा है।
वर्तमान घटनाक्रम को देखते हुए यह साफ है कि महाराष्ट्र सरकार के लिए आने वाले दिन आसान नहीं होंगे। जनता का भरोसा सिर्फ PR से नहीं, निर्णय से वापस आता है, और विपक्ष इसे भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा।
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