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कुख्यात नक्सली कमांडर माडवी हिडमा और उनकी पत्नी राजे को सुरक्षाबलों ने आंध्र प्रदेश के जंगलों में मारे जाने का दावा किया है। हिडमा पर दशकों से नक्सली हिंसा और कई बड़े हमलों की साजिश का आरोप था। इस एनकाउंटर से नक्सलवाद के खिलाफ राज्य और केंद्र सरकार के अभियान को बड़ा झटका माना जा रहा है।
कुख्यात कमांडर माडवी हिडमा
Raipur: केंद्रीय सुरक्षा बलों को एक बड़ी कामयाबी मिली है। छत्तीसगढ़-आंध्र प्रदेश बॉर्डर के मारेदुमिल्ली इलाके में मंगलवार सुबह एनकाउंटर में नक्सलवाद के कुख्यात कमांडर माडवी हिडमा (43) को मार गिराया गया है। उनकी पत्नी राजे (राजक्का) भी इसी दौरान मारी गई। इस मुठभेड़ में कुल 6 नक्सली मारे गए हैं और कई हथियार बरामद किए गए हैं।
ऑपरेशन सुबह लगभग 6 से 7 बजे के बीच हुआ, जब सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच घनघोर जंगल में तीखी फायरिंग हुई। अधिकारियों ने बताया कि मारे गए अन्य नक्सलियों में हिडमा के गार्ड देवे, नामी नक्सली लकमल, कमलू और मल्ला भी शामिल हैं। फायरिंग के बाद सुरक्षाबलों को नक्सलियों से दो AK-47 राइफल, एक रिवॉल्वर और एक पिस्टल जब्त करने में सफलता मिली है।
माडवी हिडमा नक्सली गुट CPI (माओवादी) की PLGA बटालियन नम्बर 1 का प्रमुख और सेंट्रल कमेटी का सदस्य था। वह आदिवासी पृष्ठभूमि से आते थे और माओवादी संगठन में उनका महत्व बहुत बड़ा था। उनके सिर पर 50 लाख से अधिक का इनाम था। उन पर कम-से-कम 26 सशस्त्र हमलों की जिम्मेदारी थी, जिनमें 2013 का दरभा घाटी नरसंहार और 2010 में दंतेवाड़ा में हुए CRPF जवानों पर हमले भी शामिल हैं।
यह खुफिया-निर्देशित ऑपरेशन AP (आंध्र प्रदेश) की विशेष शाखा (SIB) और इंटेलिजेंस एजेंसियों द्वारा तैयार किया गया था। पिछले हफ्तों से सुरक्षा बलों को इस क्षेत्र में नक्सलियों की बढ़ी गतिविधि की खबरें मिल रही थी और उसी इनपुट के आधार पर यह बड़ा ऑपरेशन चलाया गया। सूत्रों के मुताबिक “कॉम्बिंग ऑपरेशन अभी भी जारी है” जिससे संगठन के अन्य तत्वों को पकड़ा जा सके।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सुरक्षाबलों को बधाई दी है और इस ऑपरेशन को नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक कदम बताया है। कुछ रिपोर्ट्स में यह कहा गया है कि गृह मंत्रालय ने हिडमा को 30 नवंबर 2025 तक ढेर करने की “डेडलाइन” बनाई थी और यह ऑपरेशन उसी योजना का हिस्सा था।
विश्लेषकों का कहना है कि हिडमा की मौत नक्सली आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका हो सकती है। खासतौर पर उसकी बटालियन नंबर 1 और PLGA में एक बड़ा झटका साबित होगी। पिछले कुछ समय में नक्सलवादियों पर बढ़ते दबाव और इंटेलिजेंस इनपुट ने सुरक्षा एजेंसियों को अधिक आत्मविश्वास दिया है।
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