New Delhi: दिल्ली की राउज एवेन्यू स्थित विशेष सीबीआई अदालत ने सोमवार को लैंड फॉर जॉब घोटाले में आरोप तय करने का आदेश एक बार फिर टाल दिया। अब अदालत 4 दिसंबर को यह तय करेगी कि क्या लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और अन्य आरोपियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम तथा आईपीसी की धाराओं के तहत आरोप तय किए जाएं या नहीं। यह मामला उस समय का है जब लालू प्रसाद यादव 2004 से 2009 तक रेल मंत्री थे।
सीबीआई की चार्जशीट और आरोप
सीबीआई ने इस मामले में 7 अक्टूबर 2022 को पहली चार्जशीट दाखिल की थी। इसके बाद 7 जून 2024 को अंतिम चार्जशीट दाखिल की गई जिसमें कुल 78 लोगों को आरोपी बनाया गया। इनमें लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव, बेटियां मीसा भारती और हेमा यादव के अलावा कई अन्य लोग शामिल हैं। एजेंसी का दावा है कि इन 78 में से 38 ऐसे उम्मीदवार हैं जिन्हें रेलवे में नौकरी मिली और जिन्होंने पटना स्थित लालू परिवार की कंपनियों को कम कीमत पर जमीन हस्तांतरित की।
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लालू परिवार ने खारिज किए आरोप
लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार ने इन आरोपों को पूरी तरह नकारते हुए इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” करार दिया है। लालू यादव की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत में कहा कि सीबीआई की जांच “गैरकानूनी” है क्योंकि इसमें अभियोजन चलाने की आवश्यक अनुमति नहीं ली गई। सिब्बल ने दलील दी कि “बिना अनुमति जांच प्रारंभ करना कानून का उल्लंघन है, इसलिए पूरी कार्यवाही शून्य मानी जानी चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि सीबीआई इस मामले को राजनीतिक दबाव में आगे बढ़ा रही है ताकि विपक्ष को बदनाम किया जा सके।
लैंड-फॉर-जॉब भ्रष्टाचार मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट ने आरोप तय करने पर अपना आदेश टाल दिया है। अब यह आदेश 4 दिसंबर को सुनाया जाएगा। सीबीआई ने इस मामले में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, मीसा भारती, तेजस्वी यादव, हेमा यादव, तेज प्रताप यादव सहित अन्य आरोपियों के…
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) November 10, 2025
अदालत में पेश नहीं हुए लालू, राबड़ी और तेजस्वी
आज की सुनवाई के दौरान लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव अदालत में पेश नहीं हुए। तीनों की ओर से पेश वकील मनिंदर सिंह ने अदालत से एक दिन की पेशी से छूट मांगी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। सीबीआई के वकील ने हालांकि आपत्ति जताते हुए कहा कि आरोपियों की ओर से जानबूझकर सुनवाई टालने की रणनीति अपनाई जा रही है। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि अब अगली तारीख पर इस मामले में अंतिम आदेश सुनाया जाएगा।
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सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं मिली राहत
लालू यादव ने इस मामले में सीबीआई की एफआईआर को रद्द करने और ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 18 जुलाई को ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, जिससे मामला आगे बढ़ सका। इससे पहले 25 फरवरी को ट्रायल कोर्ट ने सीबीआई की चार्जशीट पर संज्ञान लिया था और 25 अगस्त को आरोप तय करने पर फैसला सुरक्षित रखा गया था। अब 4 दिसंबर को यह स्पष्ट होगा कि लालू परिवार के खिलाफ औपचारिक मुकदमा चलेगा या नहीं।
क्या है आगे की प्रक्रिया
राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश अब 4 दिसंबर को यह तय करेंगे कि क्या सीबीआई के पास पर्याप्त सबूत हैं कि इन आरोपियों पर औपचारिक मुकदमा चलाया जा सके। यदि आरोप तय हो जाते हैं, तो मामले में ट्रायल की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और गवाहों के बयान दर्ज किए जाएंगे। वहीं, अगर अदालत को लगता है कि सबूत पर्याप्त नहीं हैं, तो आरोपियों को राहत भी मिल सकती है।

