

हिमाचल प्रदेश को आज से आपदाग्रस्त घोषित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा में बताया कि 21 अगस्त से मानसून सक्रिय होने के बाद प्रदेश में भारी बारिश, भूस्खलन और बादल फटने की घटनाएं हुई हैं।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू
Shimla: हिमाचल प्रदेश को आज से आपदाग्रस्त प्रदेश घोषित कर दिया गया है। यह घोषणा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा में की है। उन्होंने बताया कि 21 अगस्त से प्रदेश में मानसून पुनः सक्रिय हुआ है, जिसके बाद से प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में भारी बारिश, बादल फटने और भूस्खलन जैसी घटनाएं लगातार हो रही हैं। इन प्राकृतिक आपदाओं से प्रदेश के कई जिलों में भारी नुकसान हुआ है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस अवधि के दौरान सबसे अधिक प्रभावित जिलों में चम्बा, कुल्लू, लाहौल स्पीती, मंडी, शिमला, कांगड़ा और हमीरपुर शामिल हैं। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक अनुमान के अनुसार कुल 3,056 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। इस नुकसान में सबसे अधिक प्रभाव सड़कों, पुलों, पानी और बिजली की आधारभूत संरचनाओं को हुआ है।
सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत तुरंत राहत एवं बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि जिलों, राज्य और केंद्र सरकार के संबंधित विभागों को आदेश दिए गए हैं कि वे राहत कार्यों और आधारभूत ढांचों के पुनर्निर्माण को युद्धस्तर पर पूरा करें।
प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में भूस्खलन और भारी बारिश की वजह से यातायात भी प्रभावित हुआ है। कई रास्ते बंद हो गए हैं, जिससे प्रभावित इलाकों तक राहत पहुंचाना चुनौतीपूर्ण हो गया है। लेकिन सरकार ने यह भरोसा दिया है कि सभी प्रभावित क्षेत्रों में जल्द से जल्द राहत सामग्री और जरूरी संसाधन पहुंचाए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने जनता से भी अपील की है कि वे सुरक्षित स्थानों पर रहें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें। उन्होंने यह भी कहा कि सभी अधिकारी पूरी तरह से मुस्तैद हैं और किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं।
बता दें कि इस वर्ष मानसून के कारण हिमाचल प्रदेश में सामान्य से अधिक बारिश हुई है, जिससे भूस्खलन की घटनाएं भी बढ़ गई हैं। यह क्षेत्र पहाड़ी होने के कारण इस तरह के प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील रहता है। प्रदेश सरकार ने भविष्य में ऐसी घटनाओं को कम करने और बेहतर आपदा प्रबंधन के लिए कई योजनाएं भी बनाई हैं।