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ओडिशा में जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की ताजा रिपोर्ट में 6 जिलों में 10 से 20 टन सोने की मौजूदगी का खुलासा हुआ है। इन जिलों में देवगढ़, सुंदरगढ़, नवरंगपुर, केन्दुझर, अनुगुल और कोरापुट शामिल हैं। राज्य सरकार ने इन खदानों की नीलामी की तैयारी शुरू कर दी है, जिससे रोजगार और राजस्व में वृद्धि की उम्मीद है।
प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स- गूगल)
New Delhi: ओडिशा पहले से ही खनिज संपदा से समृद्ध है, अब सोने के खजाने के लिए भी सुर्खियों में है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) की ताजा रिपोर्ट में राज्य के 6 जिलों में 10 से 20 टन सोने की मौजूदगी का खुलासा हुआ है। इस खोज के बाद, ओडिशा सरकार ने इन खदानों की नीलामी की तैयारी शुरू कर दी है। अगर खनन कार्य सफल होता है, तो इससे न केवल राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। इसके अलावा, यह भारत की बढ़ती सोने की आयात निर्भरता को कम करने में भी सहायक होगा।
ओडिशा के इन जिलों में मिला सोना!
जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) द्वारा किए गए सर्वे में ओडिशा के छह जिलों में सोने के भंडार की खोज की गई है। इन जिलों में देवगढ़, सुंदरगढ़, नवरंगपुर, केन्दुझर, अनुगुल, और कोरापुट शामिल हैं। जीएसआई की टीम ने इन क्षेत्रों में गहन सर्वे और परीक्षण के बाद यह जानकारी दी कि इन इलाकों में सोने की सांद्रता काफी अधिक है, जिससे बड़े पैमाने पर खनन संभव होगा। सोने की इस खदान की खोज से यह स्पष्ट हो गया है कि ओडिशा में खनिज संपदा के साथ अब सोने का खजाना भी छिपा हुआ है, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा मिल सकती है।
खनन की प्रक्रिया और ओडिशा सरकार की तैयारियां
खनन मंत्री विभूति भूषण जेना के अनुसार, ओडिशा सरकार ने इन क्षेत्रों में सोने के खदानों की नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उन्होंने बताया कि देवगढ़ के अड़स-रामपल्ली में सबसे पहले खदान की नीलामी की जाएगी। इसके लिए ओडिशा माइनिंग कॉर्पोरेशन (ओएमसी) और जीएसआई मिलकर काम कर रहे हैं। इसके अलावा, मयूरभंज, मलकानगिरी, संबलपुर और बौद्ध जिलों में भी सोने की खोज अभी जारी है। सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि खनन कार्य के दौरान पर्यावरणीय मानकों का पालन किया जाएगा, और स्थानीय लोगों के हितों का ध्यान रखा जाएगा। खासतौर पर, जिन गांवों में खनन कार्य होगा, वहां के लोगों के पुनर्वास और विकास के लिए भी उचित कदम उठाए जाएंगे।
राजस्व और रोजगार के नए अवसर
अगर ओडिशा में सोने की खनन प्रक्रिया सफल रहती है, तो राज्य की आय में भारी बढ़ोतरी हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि खनन कार्य से स्थानीय युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। इसके अलावा, खनन से जुड़ी सहायक उद्योगों को भी लाभ होगा। इससे न केवल ओडिशा, बल्कि समूचे देश को खनिज उत्पादक के रूप में एक नई पहचान मिल सकती है। इसके साथ ही, राजस्व में भी बढ़ोतरी की संभावना है, क्योंकि सोने के खनन से सरकार को करों के रूप में अतिरिक्त आय होगी, जो राज्य के विकास कार्यों के लिए महत्वपूर्ण होगी। इसके अलावा, इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं में भी वृद्धि हो सकती है, जिससे राज्य के हर क्षेत्र में विकास हो सकेगा।
भारत की आयात निर्भरता में कमी और आर्थिक मजबूती
भारत हर साल करीब 700 से 800 टन सोने का आयात करता है, जबकि घरेलू उत्पादन महज 1.6 टन होता है। ऐसे में ओडिशा के खदानों से सोने का उत्पादन शुरू होने पर, देश को सोने के आयात पर निर्भरता कम हो सकती है। इससे भारत को विदेशी मुद्रा की बचत होगी और यह आर्थिक दृष्टिकोण से देश को मजबूती देगा। विशेषज्ञों का मानना है कि ओडिशा के खदानों का उपयोग करने से भारत का सोने का आयात कम होगा और विदेशी मुद्रा का भंडार बढ़ सकता है। इसके साथ ही, भारत की व्यापारिक स्थिति भी मजबूत हो सकती है, जिससे वह वैश्विक आर्थिक स्थिति में बेहतर स्थान पा सकता है।
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