

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चिकनगुनिया वायरस को लेकर गंभीर चेतावनी जारी की है। एक बार फिर यह बीमारी वैश्विक स्वास्थ्य के लिए खतरा बनती जा रही है। WHO के अनुसार यदि समय रहते आवश्यक कदम नहीं उठाए गए, तो यह वायरस एक नई महामारी का रूप ले सकता है।
फिर डराने लगा चिकनगुनिया (सोर्स-गूगल)
New Delhi: दुनिया एक बार फिर एक नई महामारी के खतरे की ओर बढ़ रही है। चिकनगुनिया वायरस, जिसे पहले एक सीमित क्षेत्रीय बीमारी के रूप में देखा जाता था, अब वैश्विक चिंता का विषय बन चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में इस संक्रमण को लेकर गंभीर चिंता जताई है और देशों को सतर्क रहने की चेतावनी दी है।
कैसे फैलता है चिकनगुनिया वायरस?
चिकनगुनिया एक मच्छर जनित वायरल संक्रमण है, जो मुख्यतः एडीज एजिप्टी और एडीज एलबोपिक्टस मच्छरों के काटने से फैलता है। यह मच्छर दिन में अधिक सक्रिय रहते हैं, विशेषकर सुबह और शाम के समय। विशेष बात यह है कि एडीज मच्छर अब ग्लोबल वार्मिंग के कारण उत्तरी क्षेत्रों तक भी पहुंचने लगे हैं, जिससे संक्रमण का खतरा और बढ़ गया है।
चिकनगुनिया के लक्षण
इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति को तेज बुखार, सिरदर्द, त्वचा पर चकत्ते और जोड़ों में अत्यधिक दर्द की शिकायत होती है। कुछ मामलों में यह दर्द महीनों तक रह सकता है। इसके लक्षण डेंगू और जीका जैसे अन्य वायरल संक्रमणों से मिलते-जुलते हैं, जिससे सही पहचान में देरी हो सकती है।
तेजी से फैल रहा चिकनगुनिया वायरस (सोर्स-गूगल)
कितना घातक है यह वायरस?
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, चिकनगुनिया से मृत्यु दर 1% से कम है, लेकिन यदि संक्रमण व्यापक स्तर पर फैला, तो यह हजारों जानें ले सकता है। विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है, वहां यह तेजी से फैल सकता है।
बचाव के उपाय
WHO ने लोगों से अपील की है कि वे सावधानी बरतें और मच्छरों से बचने के उपाय अपनाएं।
बचाव के कुछ प्रभावी तरीके
घर के आसपास पानी जमा न होने दें।
मच्छर भगाने वाले स्प्रे और क्रीम का उपयोग करें।
दिन में भी पूरी आस्तीन और पैरों को ढकने वाले कपड़े पहनें।
खिड़कियों और दरवाजों पर मच्छर जाल लगवाएं।
बुखार, दर्द या अन्य लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
क्या कहा WHO ने?
WHO की मेडिकल अधिकारी डॉ. डायना रोजास अल्वारेज ने बताया कि चिकनगुनिया अब तक 119 देशों में फैल चुका है और करीब 5.6 अरब लोग इसकी चपेट में आ सकते हैं। उन्होंने बताया कि यह वायरस 2004-05 में हिंद महासागर के छोटे द्वीपों से शुरू हुआ था और कुछ ही महीनों में यह लाखों लोगों को संक्रमित कर गया था। अब फिर से रीयूनियन आइलैंड, मयोत्ते और मॉरीशस जैसे देशों में इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
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