

भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति की समीक्षा के तहत एक बड़ा फैसला लेते हुए रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट यानी 0.50% की कटौती की है। डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट में जानिए इस कटौती का लाभ किस किस को मिलेगा।
भारतीय रिजर्व बैंक (सोर्स-इंटरनेट)
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मौद्रिक नीति की समीक्षा के तहत एक बड़ा फैसला लेते हुए रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट यानी 0.50% की कटौती की है। यह इस वर्ष की अब तक की सबसे बड़ी कटौती है, जिससे रेपो रेट घटकर अब 5.50% पर आ गया है। इससे पहले फरवरी और अप्रैल 2025 में भी RBI ने 25-25 बेसिस पॉइंट की कटौती की थी, जिससे इस साल की पहली छमाही में कुल 100 बेसिस पॉइंट की कटौती हो चुकी है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनूसार, रेपो रेट में इस कटौती का सीधा लाभ आम लोगों को मिलने वाला है, खासकर उन्हें जो होम लोन या अन्य लोन की EMI चुका रहे हैं। इसके साथ ही, RBI ने कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में भी 1% की कटौती करते हुए इसे 3% कर दिया है, जिससे बैंकों के पास ज्यादा फंड उपलब्ध रहेगा और वे सस्ते दरों पर लोन देने में सक्षम होंगे।
EMI पर होगा बड़ा असर
विशेषज्ञों के अनुसार, रेपो रेट में कटौती का सबसे बड़ा असर होम लोन पर पड़ने वाला है। यदि किसी व्यक्ति ने 50 लाख रुपये का होम लोन लिया है जिसकी ब्याज दर 8.5% है और अवधि 20 वर्ष है, तो अब उसकी EMI करीब 3,111 रुपये कम हो सकती है। पहले यह EMI जहां 43,391 रुपये थी, अब घटकर 40,280 रुपये हो जाएगी। इससे सालाना लगभग 37,000 रुपये की बचत होगी।
यदि कोई EMI को पहले जैसा बनाए रखता है और केवल अवधि घटाने का विकल्प चुनता है, तो उसका लोन लगभग 3 साल पहले समाप्त हो सकता है। इससे ब्याज में कुल 15.44 लाख रुपये तक की बचत हो सकती है।
EBLR से जुड़े ग्राहकों को होगा त्वरित लाभ
यदि आपका होम लोन EBLR (External Benchmark Lending Rate), यानी रेपो रेट से जुड़ा है, तो इस कटौती का लाभ आपको जल्द मिल सकता है। बैंक EMI घटाने या टेन्योर कम करने का विकल्प दे सकते हैं। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि EMI कम करने के बजाय टेन्योर घटाना ज्यादा लाभकारी होता है क्योंकि इससे ब्याज में बड़ी बचत होती है।
जो ग्राहक अभी भी MCLR या बेस रेट से जुड़े हैं, उन्हें सलाह दी जा रही है कि वे अपने लोन को EBLR में ट्रांसफर करवाएं ताकि RBI की दरों में बदलाव का लाभ तुरंत मिल सके।
आरबीआई ने क्यों लिया यह फैसला?
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि यह कदम आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से लिया गया है। अप्रैल 2025 में खुदरा महंगाई दर घटकर 3.16% पर आ गई है, जो कि पिछले 6 वर्षों का सबसे निचला स्तर है। इसके साथ ही, अच्छी मॉनसून की शुरुआत और वैश्विक बाजारों में अस्थिरता को देखते हुए घरेलू मांग को मजबूती देने की जरूरत थी।
आरबीआई गवर्नर संजय (सोर्स-इंटरनेट)
किन सेक्टर्स को मिलेगा फायदा?
रेपो रेट और CRR दोनों में कटौती से बैंकों पर लिक्विडिटी का दबाव घटेगा और वे आसानी से लोन दे पाएंगे। इससे रियल एस्टेट, ऑटोमोबाइल, बैंकिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को राहत मिलेगी। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे व्यापारों के लिए कर्ज लेना आसान होगा, जिससे आर्थिक गतिविधियों को गति मिलेगी।