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औपचारिक हस्तक्षेप से बदला फैसला: यमन में मौत की सजा से बचीं भारतीय नर्स निमिषा प्रिया, पढ़ें पूरी खबर

केरल की नर्स निमिषा प्रिया की यमन में दी गई मौत की सजा को रद्द किए जाने का दावा भारत के ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार के कार्यालय ने किया है। हालांकि अब तक भारत सरकार या यमन प्रशासन की ओर से इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। निमिषा को यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी।
Post Published By: Asmita Patel
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औपचारिक हस्तक्षेप से बदला फैसला: यमन में मौत की सजा से बचीं भारतीय नर्स निमिषा प्रिया, पढ़ें पूरी खबर

New Delhi: भारत के ग्रैंड मुफ्ती और सुन्नी समुदाय के प्रमुख नेता कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार के कार्यालय ने एक चौंकाने वाला और राहत भरा दावा किया है कि यमन की जेल में बंद भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की मौत की सजा रद्द कर दी गई है। इस दावे को मुफ्ती के करीबी अनुयायी जवाद मुस्तफावी ने सार्वजनिक किया है। मुस्तफावी के अनुसार, यमन की राजधानी सना में एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया। उनका दावा है कि यह बदलाव ग्रैंड मुफ्ती के व्यक्तिगत हस्तक्षेप और यमन के सूफी विद्वान शेख उमर हफीज थंगल के सहयोग से संभव हो सका।

अब तक नहीं आई आधिकारिक पुष्टि

हालांकि इस दावे को लेकर केंद्र सरकार या विदेश मंत्रालय की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। यमन सरकार की तरफ से भी सजा रद्द करने को लेकर कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। इसलिए यह स्पष्ट नहीं है कि निमिषा को न्यायिक रूप से पूरी राहत मिल गई है या यह केवल मध्यस्थता प्रक्रिया का हिस्सा है।

कैसे हुआ मामला हल?

जवाद मुस्तफावी के अनुसार, यह फैसला उत्तरी यमन के शासकों, यमनी धार्मिक नेताओं और अंतरराष्ट्रीय राजनयिकों की मौजूदगी में हुई गुप्त बैठक के बाद लिया गया। इस वार्ता के दौरान कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। आगे की कार्रवाई हत्या के शिकार तलाल अब्दो महदी के परिवार के साथ बातचीत पर आधारित होगी। बताया जा रहा है कि शेख उमर हफीज थंगल के नेतृत्व में एक यमनी विद्वान प्रतिनिधिमंडल ने इस विषय में मध्यस्थता की और ग्रैंड मुफ्ती की पहल से मामले को मानवीय आधार पर सुलझाने की कोशिश की गई।

कौन हैं निमिषा प्रिया?

निमिषा प्रिया केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली हैं। वह वर्ष 2008 में एक नर्स के रूप में काम करने के लिए यमन गई थीं। वहाँ उन्होंने कई अस्पतालों में काम किया और फिर 2015 में यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी के साथ मिलकर एक मेडिकल क्लीनिक शुरू किया। निमिषा की शादी 2011 में टॉमी थॉमस नामक व्यक्ति से हुई थी। उनकी एक बेटी है, जो वर्तमान में केरल में अपने पिता के साथ रह रही है।

हत्या का आरोप और सजा का सफर

वर्ष 2017 में तलाल अब्दो महदी की लाश एक पानी के टैंक में मिली। जांच में निमिषा पर आरोप लगाया गया कि उसने महदी को नींद की गोलियों का ओवरडोज देकर मार डाला और शव को छिपाने का प्रयास किया। कुछ हफ्तों बाद यमन-सऊदी सीमा से निमिषा को गिरफ्तार किया गया। निमिषा के वकील का दावा है कि तलाल महदी ने निमिषा का शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न किया, उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया और धमकाया, जिसके चलते वह मानसिक दबाव में आ गई थी। लेकिन महदी के भाई ने इन सभी आरोपों को खारिज किया।

यमन की अदालत का फैसला

• 2020: सना की अदालत ने निमिषा को मौत की सजा सुनाई।
• 2023: यमन के सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस सजा को बरकरार रखा।
• 16 जुलाई 2025: यही तारीख तय थी निमिषा की फांसी के लिए।
लेकिन भारत सरकार, मानवाधिकार संगठनों और केरल के मुस्लिम संगठनों की लगातार कोशिशों के चलते इस सजा को स्थगित कर दिया गया था।

सजा रद्द होने की खबर से राहत

अब जबकि ग्रैंड मुफ्ती के कार्यालय ने सजा पूरी तरह रद्द होने का दावा किया है, तो यह भारत में निमिषा की रिहाई की उम्मीदों को बल देता है। हालांकि जब तक भारत सरकार या यमन सरकार इसकी पुष्टि नहीं कर देती, तब तक यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि निमिषा कब जेल से बाहर आ पाएंगी।

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