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अक्सर माना जाता है कि आत्महत्या करना खुद में एक बीमारी है, जबकि सच यह है कि ऐसा कदम उठाने के पीछे कई मानसिक और सामाजिक कारण होते हैं। बोलचाल में “अब मुझसे नहीं होगा”, “सब खत्म हो गया”, “मेरे बिना सब ठीक रहेगा” जैसी बातें कहना, कुछ लोग आत्महत्या से पहले तैयारी भी करने लगते हैं, जैसे- वसीयत बनाना, अपनी चीजें बांटना, हथियार, दवाइ या ज़हर ढूंढना और सुसाइड नोट लिखना।
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New Delhi: एक दिन अचानक कॉल आता है और उधर से आवाज आती है कि अब आपका करीबी इस दुनिया में नहीं रहा, रात को उसने अकेले में अपनी ज़िंदगी खत्म कर ली। उस वक्त आप सिर्फ यह सोचोगे कि काश उसको मैं बचा लेता। आजकल युवाओं में सुसाइड के मामले बढ़ रहे है।
क्यों आते हैं आत्महत्या के विचार?
अक्सर माना जाता है कि आत्महत्या करना खुद में एक बीमारी है, जबकि सच यह है कि ऐसा कदम उठाने के पीछे कई मानसिक और सामाजिक कारण होते हैं। इनमें प्रमुख हैं-
1. डिप्रेशन (अवसाद) : लगातार उदासी, खुद को बेकार समझना और जीवन के प्रति रुचि खत्म होना आत्महत्या के सबसे बड़े कारणों में से है।
2. बाइपोलर डिसऑर्डर : इस मानसिक अवस्था में व्यक्ति अत्यधिक खुशी और गहरी उदासी के बीच झूलता रहता है, जिससे विचारों पर नियंत्रण मुश्किल हो जाता है।
3. पर्सनालिटी डिसऑर्डर : कुछ व्यक्तित्व विकार व्यक्ति को अस्थिर, असुरक्षित या असहाय बना देते हैं।
4. अचानक हुई कोई आघातकारी घटना : जैसे नौकरी जाना, संबंध टूटना, आर्थिक संकट, किसी प्रियजन की मृत्यु या किसी हादसे का गहरा प्रभाव होता है।
5. अत्यधिक तनाव: लगातार दबाव में रहने वाले लोग खुद को परिस्थितियों के सामने कमजोर महसूस करने लगते हैं और नकारात्मक विचार तेजी से बढ़ने लगते हैं।
कोई भी व्यक्ति आत्महत्या का फैसला अचानक नहीं लेता। उसके व्यवहार में ऐसे कई संकेत पहले से दिखने लगते हैं जिन्हें पहचानना बेहद जरूरी है-
बोलचाल में “अब मुझसे नहीं होगा”, “सब खत्म हो गया”, “मेरे बिना सब ठीक रहेगा” जैसी बातें कहना, कुछ लोग आत्महत्या से पहले तैयारी भी करने लगते हैं, जैसे- वसीयत बनाना, अपनी चीजें बांटना, हथियार, दवाइ या ज़हर ढूंढना और सुसाइड नोट लिखना।
सबसे महत्वपूर्ण बात
लगभग 50 से 75% लोग आत्महत्या के विचारों का जिक्र किसी दोस्त या परिवार वाले से करते हैं। इसलिए सुनना और समझना खुद में जीवन बचाने जैसा कदम है।
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