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Sawan 2025: सावन में करें घर के मंदिर की ये वास्तु उपाय, शिव की कृपा होगी बरसों बरस

सावन का पावन महीना शिव शक्ति की उपासना और आत्मिक शुद्धि का काल है, जहां वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा से सकारात्मक ऊर्जा घर में फैलती है। यह समय है जब भक्ति, नियम और श्रद्धा से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
Post Published By: सौम्या सिंह
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Sawan 2025: सावन में करें घर के मंदिर की ये वास्तु उपाय, शिव की कृपा होगी बरसों बरस

Varanasi: काशी की पावन भूमि पर सावन का महीना आते ही एक अद्भुत ऊर्जा का संचार हो जाता है। मानो हर गली, हर मोड़, हर मंदिर ‘हर हर महादेव’ के उद्घोष से गूंज उठता है। यह माह केवल कैलेंडर का एक पन्ना नहीं, बल्कि आत्मा को शिव में विलीन कर देने वाला वह काल है जिसमें श्रद्धा, भक्ति और शक्ति का संगम होता है।

सावन में क्या करें, क्या न करें?

हिंदू मान्यता के अनुसार सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय होता है। इस महीने में जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, मंत्र जप और व्रत करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है।

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कैसे करें सावन में शिव पूजा?

सुबह स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करें और भगवान शिव का ध्यान करते हुए शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। इसके बाद बेलपत्र, अक्षत, भस्म, चंदन, फूल, और धतूरा अर्पित करें। इस मंत्र का जाप करें-

“ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥”

संध्या काल में शिवचालीसा, आरती और भजन-कीर्तन करें। व्रत करने वाले दिनभर फलाहार करके शाम को शिव पूजा के बाद अन्न ग्रहण करें।

काशी में सावन की छटा

सावन और काशी का संबंध युगों पुराना है। यह वह नगरी है जहां शिव स्वयं विश्वनाथ के रूप में विराजमान हैं। सावन के पहले सोमवार से ही यहां के घाटों और मंदिरों में शिवभक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है। ‘हर हर महादेव’ की गूंज जैसे अंतरात्मा को झंकृत कर देती है।

हरि गली मंदिर की बात करें तो सावन के सोमवार को यहां विशेष उत्सव मनाया जाता है। रातभर जागरण, भजन-कीर्तन और मंत्रोच्चार होते हैं। भक्त कतारबद्ध होकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं और उनके चरणों में अपनी आस्था समर्पित करते हैं। बच्चे, युवा, वृद्ध- सभी की आंखों में भक्ति का आलोक साफ दिखाई देता है। मंदिर के प्रांगण में शिव तांडव स्तोत्र का स्वर जैसे शिव शक्ति को साक्षात प्रकट करता है।

काशी में हर-हर महादेव की गूंज

सावन का महीना केवल पूजा-पाठ का अवसर नहीं, बल्कि आत्मा को निर्मल करने का साधन है। यह वह समय है जब हम अपने भीतर के अंधकार को शिव की ज्योति से प्रकाशित कर सकते हैं। काशी जैसे पवित्र स्थलों पर तो हर सोमवार मानो स्वयं शिव अपने भक्तों के बीच उपस्थित हो जाते हैं। जब गूंजता है ‘हर हर महादेव’, तब सिर्फ कान नहीं, आत्मा सुनती है।

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