पापांकुशा एकादशी व्रत आज: जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, उपाय और पारण की पूरी जानकारी

आज आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पापांकुशा एकादशी है, जो भगवान विष्णु को समर्पित एक विशेष व्रत माना जाता है। इसे करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। आईये जानते हैं पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, उपाय, व्रत कथा और पारण समय की पूरी जानकारी।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 3 October 2025, 12:47 PM IST
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New Delhi: आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ने वाला पापांकुशा एकादशी व्रत शुक्रवार को माना गया है, जो कि भगवान विष्णु को समर्पित है। यह व्रत अत्यंत पवित्र और दुर्लभ माना गया है, क्योंकि इसे करने से जीवन में किए गए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, इस व्रत को विधिवत करने वाला व्यक्ति यमलोक की कठोर यातनाओं से मुक्त हो जाता है और उसे एकबार में मोक्ष की प्राप्ति होती है। पापांकुशा शब्द का अर्थ है “पापों का अंकुश लगाना” अर्थात यह व्रत पापों को रोकने का कार्य करता है।

क्या है व्रत की पूजा विधि?

  • सुबह जल्दी उठकर स्वच्छ जल से स्नान करें।
  • घर के मंदिर में दीपक जलाएं और भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने गंगा जल से अभिषेक करें।
  • तुलसी के पत्ते, पुष्प और फल भगवान को अर्पित करें।
  • विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और रात में जागरण करें।
  • सात्विक भोजन का भोग लगाएं, जिसमें तुलसी का विशेष स्थान हो।
  • माता लक्ष्मी की भी पूजा करें।
  • व्रत का पारण द्वादशी तिथि की सुबह ब्राह्मणों को अन्न और दक्षिणा देने के बाद करें।

व्रत पूजन की सामग्री

  • विष्णु जी की मूर्ति/चित्र
  • तुलसी के पत्ते
  • नारियल, सुपारी, फल
  • लौंग, चंदन, अक्षत
  • घी, पंचामृत
  • धूप, दीप, मिष्ठान
Papankusha Ekadashi fast (Img: Google)

पापांकुशा एकादशी व्रत (Img: Google)

पूजा का शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त: 4:38 से 5:26 बजे तक

अभिजीत मुहूर्त: 11:46 से 12:34 बजे तक

विजय मुहूर्त: 2:08 से 2:55 बजे तक

गोधूलि मुहूर्त: 6:05 से 6:29 बजे तक

अमृत काल: रात 10:56 से 12:30 बजे तक

चौघड़िया शुभ समय: लाभ 7:44 से 9:12, अमृत 9:12 से 10:41 बजे तक

व्रत पारण का समय

4 अक्टूबर को सुबह 6:30 बजे से 8:53 बजे तक व्रत का पारण किया जाना चाहिए।

द्वादशी तिथि समाप्ति समय: शाम 5:09 बजे तक।

पापांकुशा एकादशी व्रत कथा

ऐसा माना जाता है कि विंध्याचल पर्वत पर एक शिकारी कृत्यधनु रहता था, जो अपने जीवन में अत्यंत निर्दयी था। बुढ़ापे में मृत्यु के निकट पहुंचकर वह भयभीत हो गया और महर्षि अंगिरा के आश्रम गया। महर्षि ने उसे पापांकुशा एकादशी व्रत करने को कहा। उसने श्रद्धा से व्रत किया, जिससे उसके सारे पाप नष्ट हो गए और विष्णुदूत उसे स्वर्ण रथ में वैकुण्ठ ले गए। इससे स्पष्ट होता है कि यह व्रत भक्त को पापों से मुक्त कर मोक्ष प्रदान करता है।

पापांकुशा एकादशी व्रत के उपाय

1. तुलसी के पौधे को नियमित पानी दें।

2. तुलसी के सामने घी का दीपक जलाएं।

3. “ॐ श्री तुलस्यै नमः” मंत्र का जाप 11 बार करें।

4. तुलसी के चारों ओर 11 बार परिक्रमा करें।

5. विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और पूर्ण श्रद्धा से भगवान का ध्यान लगाएं।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। डाइनामाइट न्यूज़ किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से अवश्य सलाह लें।

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 3 October 2025, 12:47 PM IST

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