

शारदीय नवरात्रि 2025 के तीसरे दिन 24 सितंबर को मां चंद्रघंटा की पूजा का महत्व, मुहूर्त, मंत्र, भोग और आरती की पूरी जानकारी।
मां चंद्रघंटा की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
New Delhi: शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन 24 सितंबर 2025 को मनाया जा रहा है। नवरात्रि के इस दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा को साहस, शक्ति और कृपा की देवी माना जाता है। इस स्वरूप में देवी अपने भक्तों को स्थिरता, शांति और समृद्धि प्रदान करती हैं।
मां चंद्रघंटा के माथे पर घंटी का आकार का अर्धचंद्र अंकित होता है, यही कारण है कि उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। यह स्वरूप देवी पार्वती के विवाहित रूप का प्रतीक है। देवी इस रूप में बाघिन पर सवार रहती हैं और अपनी दस भुजाओं में भिन्न-भिन्न अस्त्र धारण करती हैं, जो बुराई और नकारात्मक शक्तियों का विनाश करने में सक्षम हैं।
मां चंद्रघंटा का यह स्वरूप भयंकर प्रतीत होता है, लेकिन अपने भक्तों को प्रेम और सुरक्षा प्रदान करता है। देवी का यह रूप विशेष रूप से साहस, शक्ति और निडरता की प्रार्थना के लिए पूजनीय है।
मां चंद्रघंटा की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल की सफाई के बाद मां चंद्रघंटा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। लाल फूल, रोली, अक्षत, फल और भोग (खीर या हलवा) अर्पित करें। धूप-दीप जलाएं और मंत्र जाप करें। अंत में आरती करके पूजा समाप्त करें और प्रसाद परिवार के सदस्यों में वितरित करें।
Sharadiya Navratri 2025: किस दिन किस देवी की होगी पूजा, जानें तिथि और शुभ मुहूर्त
पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते महयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।।
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्।
सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥
साथ ही, आप सरल मंत्र ॐ देवी चन्द्रघंटायै नमः का भी जाप कर सकते हैं।
मां चंद्रघंटा को विशेष रूप से दूध से बनी खीर अर्पित करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा आप फल, लौंग, इलायची, पंचमेवा, मिठाई, पेड़ा आदि भी चढ़ा सकते हैं।
मां चंद्रघंटा की आरती में उन्हें संकट निवारक, क्रोध शमक और सुखदायक देवी बताया गया है। आरती के दौरान भक्त उनकी कृपा, सुरक्षा और आशीर्वाद की कामना करते हैं।
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करने से घर में सुख-शांति, समृद्धि और साहस का संचार होता है। भक्तों को जीवन में स्थिरता और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति प्राप्त होती है।